प्रवासी मजदूरों के आगमन से ग्रामीण इलाकों की बदली तस्वीर
बेतिया। कोरोना के दूसरी लहर की चेन तोड़ने के लिए सरकार ने 15 मई तक लॉकडाउन लगा दी।
बेतिया। कोरोना के दूसरी लहर की चेन तोड़ने के लिए सरकार ने 15 मई तक लॉकडाउन लगा दी। लॉकडाउन में निर्माण कार्य को छूट दी गई है। देश के अन्य हिस्सों में संक्रमण बढ़ने से वहां काम कर रहे प्रवासी मजदूर घर लौट आए हैं। निर्माण कार्य में छूट मिलने से घर लौटे प्रवासी मजदूर गांव देहातों में काम कर रहे हैं। प्रवासी मजदूरों के आने और यहां काम में लगने से ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदलने लगी है। ग्रामीण इलाकों में बड़े-बड़े भवन बन रहे हैं। मजदूरों की किल्लत नहीं होने से निर्माण कार्य कराने वाले लोग खुश है, काम मे तेजी आ गई हैं। हालांकि कई सामान की बिक्री पर सरकार ने लॉकडाउन की अवधि में पाबंदी लगाई है। लेकिन लोगों को निर्माण कार्य में उपयोगी तकरीबन सारे सामान आसानी से मिल रहे हैं। सुबह 11 बजे तक दुकान खुलने से लोगों को सामान मिलने में कोई दिक्कत नहीं है। भवन निर्माण कार्य करा रहे महनाकुली के रामचंद्र साह ने बताया कि पहले कारीगर और मजदूरों की किल्लत होने से काम काफी सुस्त था। लेकिन बाहरी मजदूरों के घर आ जाने से अब न कारीगर की दिक्कत है और ना ही मजदूरों की। ऐसे में तेजी में काम हो रहा है। मजदूर महेंद्र महतो, भुलाई महतो, रघुनाथ राम, लक्ष्मण पटेल ने बताया कि अब उनको घर के पास ही आसानी से काम मिल रहा है। काम मिलने में दिक्कत नहीं होने से घर पर ही रोजी रोजगार की सुविधा हो गई है। मजदूरों ने कहा कि जब तक यहां काम मिलता रहेगा रोजगार के लिए बाहर नहीं जाएंगे।
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कारखानों में काम करने वालों को परेशानी
प्रवासी मजदूरों को घर आने के बाद भी रोजगार मिलने से कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन कारखानों में काम करने वाले प्रवासी मजदूरों के घर लौटने से उनके परिवार की परेशानी बढ़ गई है। दिल्ली में जैकेट निर्माण कार्य करने वाले अनवर मियां ने बताया कि दिल्ली में कोरोना बढ़ने के बाद घर लौट आया। लेकिन यहां कोई काम नहीं है। आमदनी घटने का असर पूरे परिवार पर पड़ा है। कुछ ऐसी ही हालत बरसाती अंसारी, मंसूर मियां, सोहन पटेल, रमेश पांडेय, भोज ठाकुर, दीनानाथ ठाकुर की है। ये सभी कोरोना के खतरे से बचने के लिए दिल्ली और मुंबई से घर लौटे हैं। लेकिन इनके लिए यहां कोई काम नहीं है। ये प्रवासी कारीगरों ने बताया कि सरकार की ओर से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। जिस कारण परेशानी बढ़ गई है। किसी तरह परिवार की गाड़ी चल रही है।
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-- लॉकडाउन हटने का कर रहे हैं इंतजार
बाहर से घर लौटने वाले कई कारीगर और मजदूर कोरोना का खतरा कम होने और लॉकडाउन हटने का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे फिर से अपने काम पर लौट सके। नुनियावा टोला के भोला महतो, सुरेश भगत, कन्हाई राम ने बताया कि बाहर में जितनी आमदनी थी गांव में उतनी मजदूरी नहीं मिलती है। जिस कारण वे कोरोना का खतरा कम होने और लॉकडाउन हटने का इंतजार कर रहे हैं। ताकि फिर से अपने काम पर लौट सके। आमदनी घटने के कारण प्रतिदिन के खर्च में कटौती करनी पड़ रही है। दाल, हरी सब्जियां पहले की अपेक्षा में कम मात्रा में खरीदी जाती है। किसी तरह इसी आय में घर का खर्चा चलाया जा रहा है।