वर्षो से सता रही खुद की सुरक्षा की चिता, अधिकारी उदासीन

बगहा। मानसून के प्रवेश के साथ ही बरसात की शुरुआत हो चुकी है।बरसात में खेती -किसानी में ल

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 11:34 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 11:34 PM (IST)
वर्षो से सता रही खुद की सुरक्षा की चिता, अधिकारी उदासीन
वर्षो से सता रही खुद की सुरक्षा की चिता, अधिकारी उदासीन

बगहा। मानसून के प्रवेश के साथ ही बरसात की शुरुआत हो चुकी है।बरसात में खेती -किसानी में लोग जुट जाते हैं। चारों तरफ हरियाली छा जाती है। वहीं प्रखंड के कुछ गांवों के ग्रामीण इस महीने में भयभीत रहते हैं। प्रत्येक साल बारिश के समय इन तटवर्ती गांवों पर नदियों का कहर पड़ता है। इसका कारण यह है कि अभी भी कई गांवों के किनारे बांध ही नहीं बने हैं। प्रखंड से होकर करीब आधा दर्जन बरसाती नदियां गुजरती है। जिनमें अमूमन सालों भर पानी नगण्य रहता है। इसमें से कुछ नदियों का पानी तो बिल्कुल सूख जाता है। पर, पूरे साल तक सोने वाली इन नदियों का विकराल रूप बरसात के दिनों में देखने को मिलती है। बारिश के कारण होने वाले तबाही की पीड़ा इन नदियों के तटवर्ती गांवों को भुगतनी पड़ती है। मौसम विभाग की माने तो इस साल बारिश अच्छी होने की संभावना है। ऐसे में इन तटवर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को एकबार फिर से भय सताने लगा है। बीते कई सालों से हो रहा कृषि भूमि का कटाव प्रखंड से होकर गुजरने वाली बरसाती नदियों में कापन, हरहा, भलुई, मसान, सिगाहा, सुखौड़ा, ढोगही, रघिया आदि ऐसी नदियां है। जिनमें बरसात के बाद नदियों में उफान आती है। जब पानी कम होने लगता है तो, तटवर्ती गांवों के कृषि भूमि का कटाव होता है। इस संदर्भ में बीते पांच सालों का कोई ठोस आंकड़ा तो, नहीं मिल सका है। पर, इन सालों में सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि का कटाव इन नदियों से हुआ है। यह कटाव दोन के नरकटिया, गर्दी, चंपापुर, हरिहरपुर, ठोरी कुट्टी, चमरडीहा बड़गांव, भावल, इमरती कटहरवा, धनरपा से लेकर देवराज के सेरहवा व इनारबरवा गांव तक हुआ है। ----------------- अवरहिया के करीब चार सौ लोग रह रहें सड़कों के किनारे दोन के अवरहिया गांव के लोग मसान नदी से गांव के कटाव का दंश आज भी झेल रहे हैं। आधे गांव के ग्रामीण जंगल क्षेत्र में मुख्य सड़क के किनारे अपनी झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं। जिनकी आबादी करीब चार सौ हैं। वहीं इसके अलावा दोन के गोबरहिया गांव के लोग भी बरसात में भलुई नदी के कारण सरकारी विद्यालय में शरण लेते हैं। इमरती कटहरवा गांव, संतपुर व बलुअहवा गांव के लोगों का भी कुछ ऐसा हीं हाल है। जो ऊंची जगहों पर शरण लेते हैं। जलस्तर कम होने पर अपने गांव वापस लौट जाते हैं।

----------------- पलिया में हुआ है पक्के बांध का निर्माण :-

बाढ़ को लेकर अगर बांध के मरम्मत की बात करें तो पलिया में पक्का गाइड बांध बनाया गया है। जिससे लोगों को राहत मिली है। इसके अलावा ठोरी कुट्टी के समीप पायलट चैनल व एनसी, जिओ बैग बंबू पाइलिग का काम हुआ है। धनरपा से लेकर फगुनहटा तक बांध के मरम्मत का काम हुआ। इमरती कटहरवा में भी एंटीरोजन का कार्य कराया गया है। पर, इन सबसे कितनी राहत लोगों को मिली है। यह कोई छुपी बात नहीं है। --------------------- कहते हैं ग्रामीण इमरती कटहरवा गांव निवासी निखिल सिंह का कहना है कि एंटीरोजन कार्य का हाल बरसात में पता चलेगा। वहीं मनोज उरांव का कहना है कि अवरहिया में गांव के बाद कृषि भूमि का कटाव हो रहा है। जिसका निदान नहीं निकाला गया। हरिहर पुर के सुरेश उरांव का कहना है कि पायलट चैनल से कोई फायदा नहीं हुआ। इससे नदी की धारा को मोड़ने की बात बेकार है। हालांकि पलिया के रामायण यादव ने गाइड बांध से गांव को बाढ़ से राहत मिलने की बात कही है। बयान :

बरसात से निपटने की तैयारी कर ली गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर कर्मियों को नजर रखने की हिदायत दी गई है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग तैयार हैं। साथ हीं फ्लड फाइटिग का कार्य भी संबंधित विभाग के तरफ से कराया जाएगा। विनोद मिश्रा, सीओ

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