कुम्हारों ने झोंकी ताकत, खूब बना रहे मिट्टी के दीये

बेतिया। दीपावली को लेकर कुम्हार मिट्टी के दीप बनाने में जी जान से जूट गए हैं । साथ हीं कुम्

By JagranEdited By: Publish:Tue, 10 Nov 2020 01:11 AM (IST) Updated:Tue, 10 Nov 2020 01:11 AM (IST)
कुम्हारों ने झोंकी ताकत, खूब बना रहे मिट्टी के दीये
कुम्हारों ने झोंकी ताकत, खूब बना रहे मिट्टी के दीये

बेतिया। दीपावली को लेकर कुम्हार मिट्टी के दीप बनाने में जी जान से जूट गए हैं । साथ हीं कुम्हारों ने चाइनीज लाइट का जबाब मिट्टी के दीप से देने का फैसला भी किया है, जिसके अनुरूप दीये की बेहतरी दे रहे हैं। चाकपर उनके हाथ इन दिनों काफी तेज चल रही है। कल तक जहां घंटे में सौ दीप का बना रहे थे, अब डेढ़ सौ से अधिक दीप बना रहे है। वे चाइनीज बल्ब को लोगों से नहीं जलाने की अपील भी कर रहे हैं । मिट्टी की रक्षा के लिए अपनी पुरानी परम्परा का निवारण इस मिट्टी के दीप से करेंगे, जिसे देख कर चाइनीज बल्ब की चकाचौंध धीमी पड़ जाय। यह गांव के लेकर शहर में देखने को मिल रही है। लोगों में जज्बा है और दीपावली को लेकर काफी उत्साह भी। कुम्हार अपनी पारंपरिक व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए जुटे हुए हैं और अपने पूरे परिवार के साथ मिट्टी के आकर्षक दीप बना रहे हैं । मिट्टी के दीये बाजार में पहुंच भी रहे हैं । सस्ते दर बेचे जाएंगे दीये

कुम्हारों ने कड़ी मेहनत करके यह प्रयास किया है जो मिट्टी के दीये लोगों को सस्ते दर पर उपलब्ध हों। उसको आकर्षक बनाने का भी प्रयास किया है ताकि लोग चाइनीज रोशनी की व्यवस्था से विमुख हो सकें। पारंपरिक और पर्यावरण प्रदूषण मुक्त दीपावली का हिस्सा बन सकें। मिट्टी के दीये जलाने से देवी देवताओं का होता वास

भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा के अनुसार मिट्टी के बर्तन को शुद्व माना गया है। सदियों पुरानी परम्परा है कि दीपावली में मिट्टी की दीप जलाई जाती है। दीप जलने से मां लक्ष्मी का वास होता है। घर में सुख शांति होता है। आचार्य पं. उपेंद्रनाथ तिवारी बताते हैं कि मिट्टी के बर्तन में पूजा अर्चन करने से देवी देवता प्रसन्न होते हैं। बदलती परिस्थितियों में मिट्टी के दीये जरूरी

कुम्हार प्रेम पड़ीत, संतोष पड़ीत, गणेश पड़ीत का कहना है कि मिट्टी के दीये के दिन धीरे धीरे खत्म हो रहे थे। अब परिस्थितियां बदल रही हैं। हम लोग इस परंपरा को अब आगे बढ़ाने में लगे हैं और दीपावली के लिए कड़ी मेहनत कर मिट्टी के दीप बना रहे हैं। ताकि लोग अपने घरों में मिट्टी के शुद्ध दीये जलाएं। कुम्हारों ने बताया कि हमारे मेहनत के हिसाब से मजदूरी नहीं मिलती फिर भी समाज हित में इस परंपरा को ऊंचाई दे रहे हैं । इससे पर्यावरण भी शुद्ध होता है।

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