उत्पाद विभाग की भूमि पर अतिक्रमण बरकरार
नरकटियागंज, शहर में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण खेल थम नहीं रहा है। ऐसे हर जगह कुछ ना कुछ अतिक्रमणकारी कब्जा जमाए बैठे हैं।
बेतिया। नरकटियागंज, शहर में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण खेल थम नहीं रहा है। ऐसे हर जगह कुछ ना कुछ अतिक्रमणकारी कब्जा जमाए बैठे हैं। लेकिन संबंधित विभाग और प्रशासनिक कार्यवाही का अभाव दिख रहा है। यही वजह है कि अतिक्रमण का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हद तो यह कि शहर के वार्ड 14 में स्थित उत्पाद विभाग की भूमि और उसके जर्जर भवन पर अतिक्रमणकारी कब्जा करने लगे हैं। अवर निबंधन कार्यालय के समीप उत्पाद विभाग के इस भूमि पर अतिक्रमणकारी धीरे धीरे जर्जर भवन को हथियाने के फिराक में भी लग गए हैं। मगर विभाग का इस पर ध्यान ही आकर्षित नहीं हो रहा। बता दें कि काफी समय पहले शहर में उत्पाद विभाग का यहां कार्यालय खुला। जिसपर लाखों खर्च किए गए। देखते ही देखते भवन खंडहर में तब्दील हो गया । और अब भूमि के साथ ही बचे-खुचे भवन के हिस्से पर अतिक्रमणकारी कब्जा कर रहे हैं। बावजूद इसके विभाग मौन है।
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किराए के मकान में रहते विभाग के कर्मी
खुद की भूमि होते हुए भी यदि कोई विभाग किराये पर रहे तो इसे क्या कहेंगे। ऐसे में जबकि सरकार भवन के लिए काफी खर्च कर रही है। मगर विभाग की भूमि रहते हुए भी उस पर नया भवन नहीं बना। जिससे विभागीय कार्यालय संचालन के साथ-साथ कर्मियों को भी किराये के मकान में रहना पड़ रहा है।
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साढ़े तीन वर्ष बीत गए नहीं मुक्त हो सकी भूमि
विभाग द्वारा इस भवन को मुक्त करने का फरमान अब तक पूरा नहीं हो सका। करीब साढ़े तीन वर्ष पूर्व उत्पाद विभाग के महानिरीक्षक ने इस कार्यालय का जायजा लिया था। उन्होने कहा था कि इस भवन को हर हाल में मुक्त कराया जाएगा। तब शराब प्रतिबंधित नहीं था। तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी ने सरकार की ओर से सरकारी शराब की दूकान खोलने की चल रही सरगर्मी के बीच इस भवन का निरीक्षण किया था। मगर शराब के प्रतिबंधित होने के साथ ही विभाग का इस भूमि और भवन पर से ध्यान ही हट गया।
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भूमि विद्यालय को हस्तांतरित कर दे विभाग
स्थानीय शहर के लोगों ने विभाग के इस भूमि व भवन को मुक्त कराने की मांग उठाई है। प्रकाश नगर नामक विद्यालय के पास कोई भूमि भी नहीं है। ऐसे में यदि उत्पाद विभाग की इस भूमि को सरकार द्वारा विद्यालय को हस्तांतरित कर दिया जाए तो इससे जमीन का उपयोग होने के साथ साथ प्रकाश नगर नया टोला के भटक रहे विद्यालय को अपनी एक जगह मिल जाएगी। हालांकि यह तभी संभव है जब उत्पाद विभाग से शिक्षा विभाग को भूमि का हस्तांतरण हो, जिसके लिए उच्चस्तरीय पहल की जरूरत है