अनाथ बच्चों के सिर पर एसडीएम का हाथ
बगहा। पश्चिम चंपारण के बगहा के रामनगर में चार अनाथ बच्चों के सिर पर एसडीएम शेखर आनंद क
बगहा। पश्चिम चंपारण के बगहा के रामनगर में चार अनाथ बच्चों के सिर पर एसडीएम शेखर आनंद का हाथ है। उन्होंने इन बच्चों की परवरिश और पढ़ाई की जिम्मेदारी ली है। इनके माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी। इसके बाद सभी नाना-नानी के साथ रहने लगे, लेकिन हाथी के हमले में उनकी भी मौत हो गई। दोनों बेआसरा होकर भीख मांगने लगे थे। इसी दौरान छह जून को रामनगर के कनघुसरी इलाके में नदी क्षेत्र में कटाव स्थल का जायजा लेने पहुंचे एसडीएम चारों बच्चों की स्थिति देख भावुक हो उठे। उन्होंने तत्काल बच्चों की आर्थिक मदद की। इसके बाद सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने का निर्णय लिया है। घर के लिए राशन-पानी की व्यवस्था की गई है। स्कूल खुलने के बाद सरकारी स्कूल में उनका नामांकन कराया जाएगा। एसडीएम ने रामनगर बीडीओ से इस परिवार के लिए राशनकार्ड तैयार कराने का आदेश दिया है। ताकि उनके स्थानांतरण के बाद भी इन बच्चों के समक्ष भोजन की समस्या उत्पन्न न हो। इन बच्चों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के आवास का निर्माण भी कराया जाएगा। फादर्स डे के ठीक पूर्व अनाथ बच्चों के लिए एसडीएम के इस पहल की चहुंओर प्रशंसा हो रही है।
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अज्ञात बीमारी से हुई माता पिता की मौत :-
रामनगर के मनचंगवा गांव निवासी रामायण राम व उनकी पत्नी की मौत अज्ञात बीमारी से कुछ साल पहले हो गई। इस दंपती को दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। माता-पिता की मौत के बाद बड़ा भाई रंजीत बहनों छठिया व हीरामति तथा भाई अमरजीत के साथ ननिहाल कनघुसरी आ गया। कुछ महीनों तक ननिहाल में इन बच्चों की परवरिश हुई। इस बीच नियति ने एक बार फिर से इन बच्चों के साथ मजाक किया। एक रात जंगल से निकले हाथी ने गांव पर हमला किया। दुर्भाग्य से इस हमले में बच्चों के नाना-नानी दोनों की मौत हो गई। इसके बाद बच्चे एक बार फिर से अनाथ हो गए। नाना की पुरानी झोपड़ी में रहकर गुजर बसर करने लगे। बड़े भाई रंजीत ने महज 13 साल की उम्र में अपने भाई-बहनों का पेट भरने के लिए परदेस का रुख किया। वहां सिलाई सीख जीविकोपार्जन करने लगा। एक बार फिर से किस्मत ने धोखा दिया और लॉकडाउन के कारण रंजीत घर लौट आया। जब भूख ने बेजार किया तो बच्चे भीख मांगने लगे। रंजीत का छोटा भाई अमरजीत भीख मांगने के क्रम में उस कटाव स्थल पर जा पहुंचा जहां जांच के लिए एसडीएम आए थे। उन्होंने तत्काल बच्चों की आर्थिक मदद की और अब संकल्प लिया है कि बच्चों के स्वावलंबी होने तक उनकी मदद करेंगे।
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बयान :-
हम सभी को ऐसे बच्चों की मदद करनी चाहिए जो नियति की कु²ष्टि के शिकार हैं। इन बच्चों की यथासंभव मदद की जा रही। उनकी पढ़ाई की व्यवस्था भी प्रशासन करेगा। मैं जल्द ही बच्चों से मिलने जाउंगा।
शेखर आनंद, एसडीएम, बगहा।