पीएचसी खुद बीमार, कैसे हो मरीजों का इलाज
बगहा। कहने को तो यह सरकारी अस्पताल है लेकिन यहां बीमारों का इलाज कैसे हो जब ये खुद बी
बगहा। कहने को तो यह सरकारी अस्पताल है, लेकिन यहां बीमारों का इलाज कैसे हो, जब ये खुद बीमार है। व्यवस्था ऐसी की खुद अस्पताल भी शर्मा जाए। जी हां! हम बात कर रहे हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ की। कोरोना का बढ़ता संक्रमण अब गांव में भी आ पहुंचा है। अगर सही तरीके से जांच हो तो हर रोज कई व्यक्ति संक्रमित मिल जाए। लेकिन यहां जांच की भी केवल खानापूर्ति होती है। ये संक्रमण फैलता कैसे है ये भी सोचने वाली बात है। इसका सबसे बड़ा कारण है लोगों की लापरवाही और सरकार की बदइंतजामी। जिसका खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। थारू व आदिवासी बहुल क्षेत्र के केंद्र माने जाने वाले हरनाटांड़ स्थित उक्त पीएचसी में कुव्यवस्था का अंबार है। यहां आए दिन दर्जनों मरीज इलाज को पहुंच रहे हैं। लेकिन पीएचसी में कभी भी सैनिटाइजेशन नहीं होता है। जिससे चिकित्सकों से लेकर स्वास्थ्य कर्मियों तक की जान हलक में रहती है। यहां तक की उक्त पीएचसी में आए दिन गर्भवती प्रसव के लिए भी पहुंचती हैं। लेकिन सैनिटाइजेशन नहीं होने से उन्हें भी खतरे का डर सता रहा है। परिसर में ही घूमते रहते हैं संक्रमित बताते चलें कि यहां इलाज को पहुंचने वाले कई संदिग्ध कोरोना संक्रमित भी होते हैं। जांच से पहले संदिग्ध मरीज पीएचसी परिसर में इधर उधर घूमते हैं, लेकिन जब जांच होती है तब पता चलता है कि इनमें से कुछ पॉजिटिव हैं। बावजूद परिसर का सैनिटाइजेशन नहीं किया जाता। यहां तक की पीएचसी में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को न तो ग्लब्स मुहैया कराए गए हैं और न ही सैनिटाइजर उपलब्ध कराया गया है। जिससे यहां कार्यरत स्वास्थ्य कर्मी भी डर डर के अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं। इस कोरोना काल में एक दिन भी पीएचसी के पदाधिकारियों का आगमन अस्पताल में नहीं हुआ है। जिससे यहां की स्थिति बद से बदतर होते जा रहा है।