छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अ‌र्घ्य , आज संपन्न होगा छठ महापर्व

सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ श्रद्धा एवं आस्था के साल मनाया गया। छठव्रतियों ने रविवार को डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। भगवान भास्कर से सुख-समृद्धि की कामना की। सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 11:54 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 11:54 PM (IST)
छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अ‌र्घ्य , आज संपन्न होगा छठ महापर्व
छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अ‌र्घ्य , आज संपन्न होगा छठ महापर्व

बेतिया । सूर्योपासना का महापर्व चैती छठ श्रद्धा एवं आस्था के साल मनाया गया। छठव्रतियों ने रविवार को डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। भगवान भास्कर से सुख-समृद्धि की कामना की। सोमवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा। कोरोना महामारी के कारण छठ घाटों पर सन्नाटा रहा। व्रती अपने-अपने घरों के पास ही अ‌र्घ्य देकर सूर्य भगवान की पूजा की। सोमवार को श्रद्धालु उदीयमान सूर्य को अ‌र्घ्य प्रदान करके इस महापर्व के अनुष्ठान का समापन करेंगे। धार्मिक मान्यता हैं कि छठ महापर्व में नहाए-खाए से पारण तक व्रतियों पर षष्ठी माता की कृपा बरसती है। चैत माह में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु छठ महापर्व करते हैं। हालांकि कोरोना के कारण इस बार घाटों पर चैती छठ नहीं मनाई जा रही है। कुछ लोग अपने घर के पास तालाब पर डूबते सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। व्रतियों ने शारीरिक दूरी के नियम का भी पालन किया। छठ के पारंपरिक गीत .. दर्शन देहू न आपार छठी मैया..उगऽ हे सूरजदेव अरघ के बेरिया.. गीत गाते महिला व्रतियों ने घरों में प्रसाद बनाएं और पूजा की। आज पारण के साथ महापर्व का समापन हो जाएगा।

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छठ पूजा का विशेष महत्व

आचार्य राधाकांत शास्त्री के अनुसार सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाए जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। रामायण और महाभारत में इस पर्व को लेकर कई कहानियां हैं। जिले में लोग छठ को श्रद्धा, भक्ति व उत्साह के साथ मनाते हैं।

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