देश- विदेश के मार्केट में धूम मचाएगा चंपारण का मरचा चूड़ा

बेतिया। जिले में उत्पादित मरचा धान के चूड़ा का स्वाद और सुगंध की ख्याति बिहार हीं नहीं देश- विदेशों में है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:35 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:35 PM (IST)
देश- विदेश के मार्केट में धूम मचाएगा चंपारण का मरचा चूड़ा
देश- विदेश के मार्केट में धूम मचाएगा चंपारण का मरचा चूड़ा

बेतिया। जिले में उत्पादित मरचा धान के चूड़ा का स्वाद और सुगंध की ख्याति बिहार हीं नहीं, देश- विदेशों में है। कोई भी बाहरी व्यक्ति यहां आता है तो मरचा चूड़ा का स्वाद लेना नहीं भूलता। घर-परिवार, मित्रों को मरचा चूड़ा खिलाने में अपना शान समझता है। सुगंध और स्वाद में बेमिसाल मरचा चूड़ा को देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जी-आई टैग के माध्यम से पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से पिछले पांच माह से प्रक्रिया चल रही है, जो अंतिम चरण में है। शीघ्र ही मरचा चूड़ा को जी-आई टैग मिलने वाला है। डीएम कुंदन कुमार ने मंगलवार को अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा है कि दार्जिलिग की चाय, बनारस की साड़ी, तिरूपति के लड्डू की तरह चम्पारण का मरचा चूड़ा देश-विदेशों में अपनी सुगंध और स्वाद बिखेरेगा। जी-आई टैग मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय मार्केट में मरचा चूड़ा की कीमत बढ़ जाएगा। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति सु²ढ़ होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।

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जानें क्या है जीआई टैग

जीआई टैग से किसी प्रोडक्ट को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। यह उत्पाद की विशेषता और मानवीय कारकों पर निर्भर करती है। किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है। ये टैग किसी खास भौगोलिक परिस्थिति में पाई जाने वाली या फिर तैयार की जाने वाली वस्तुओं के दूसरे स्थानों पर गैर.कानूनी प्रयोग को रोकता है। जीआई टैग देने से पहले किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता व उसकी क्वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है। यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और वास्तविक पैदावार निर्धारित क्षेत्र में है।

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एक हजार एकड़ में होती है मरचा धान की खेती

बैठक में वरीय उप समाहर्ता राजकुमार सिन्हा ने बताया कि जिले में मरचा धान की खेती लगभग एक हजार एकड़ में होती है। इसकी खेती नरकटियागंज, गौनाहा, सिकटा एवं मैनाटांड़ प्रखंडों में अधिकांशत: होती है। मरचा धान की खेती के लिए जिले की मिट्टी एवं जलवायु बेहद ही अनुकूल है। ऐसी अनुकूल जलवायु अन्य जगह संभवत: नहीं है। इसी कारण दूसरी जगह पर खेती में यहां की तरह बेहतरीन स्वाद और सुगंध नहीं होता है।

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आनंदी भूजा और जर्दा आम को दिलाएंगे पहचान

डीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मरचा चूड़ा के बाद आनंदी भूजा, जर्दा आम को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने को हरसंभव प्रयास करें। कृषि क्षेत्र में जिले की विशिष्ट पहचान बनाने के लिए सभी अधिकारियों को प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि मरचा चूड़ा, आनंदी भूजा, जर्दा आम में दिलचस्पी रखने वाले किसानों को प्रोत्साहित करते हुए उनके अनुभवों को संकलित कर विशेष कार्य योजना तैयार करें। ताकि बेहतर तरीके से जिले के कृषि उत्पादों को देश-विदेश के फलक पर विशिष्ट पहचान दिलाई जा सके।

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