जवान की मौत के बाद मातमी सन्नाटा, हजारों की भीड़ ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

देश के लिए सर्वोच्च बलिदान का सपना हर जवान का होता है। ड्यूटी के दौरान यदि जान गंवानी पड़े तो इससे बड़ी कोई बात नहीं। बगहा के पारसनगर निवासी बीएसएफ जवान शंकर साह की मौत गुरुवार को चंडीगढ पीजीआइ में इलाज के दौरान हो गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 12:13 AM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 12:13 AM (IST)
जवान की मौत के बाद मातमी सन्नाटा, हजारों की भीड़ ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई
जवान की मौत के बाद मातमी सन्नाटा, हजारों की भीड़ ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

बगहा । देश के लिए सर्वोच्च बलिदान का सपना हर जवान का होता है। ड्यूटी के दौरान यदि जान गंवानी पड़े तो इससे बड़ी कोई बात नहीं। बगहा के पारसनगर निवासी बीएसएफ जवान शंकर साह की मौत गुरुवार को चंडीगढ पीजीआइ में इलाज के दौरान हो गई। वे ड्यूटी के दौरान अचानक बीमार पड़ गए। सेना वाहन से उन्हें इलाज के लिए चंडीगढ़ ले जाया गया जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। शंकर कई बार अपने शौर्य के लिए चर्चा का केंद्र बने थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। शनिवार की सुबह उनका शव चंडीगढ़ से बगहा पहुंचा। जहां हजारों की भीड़ ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। बीएसएफ के हेड कांस्टेबल शंकर साह के शव को दिल्ली होते हुए पटना से मलपुरवा लेकर पहुंची एनडीआरएफ की टीम का इंतजार लोग मलपुरवा चौक पर सुबह से ही कर रहे थे। तिरंगे में लिपटे जवान के शव को देख लोगों की आंखों से आंसू निकल गए। शंकर साह अमर रहे, व भारत माता की जय के नारों के बीच उनके शव को पारसनगर स्थित पैतृक आवास लाया गया। मौके पर मौजूद बगहा विधायक आरएस पांडेय, एसपी किरण कुमार गोरख जाधव समेत अन्य गणमान्य लोगों ने पुष्प अर्पित कर मृतात्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इस दौरान जवानों ने शव को सलामी भी दी। एएसपी धर्मेंद्र झा, मेजर जितेंद्र कुमार सिंह, नगर थानाध्यक्ष आनंद कुमार, डीसीएलआर मो. इमरान, सीओ उदयशंकर मिश्र आदि ने स्व. साह के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। मृत जवान की पत्नी सहोदरी देवी अपनी पुत्रियों 15 वर्षीय शोभा कुमारी, 14 वर्षीय जया कुमारी समेत पुत्र 12 वर्षीय जय कुमार से लिपट कर जार जार रोए जा रही थी। हजारों की भीड़ के बीच पुत्र जय कुमार ने पिता को अंतिम विदाई दी। श्रद्धांजलि देने वालों में मनोज कुमार सिंह, सतीश वर्मा, प्रिस पाठक, राकेश सिंह समेत दर्जनों अन्य शामिल थे।

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वर्ष 1989 से बीएसएफ में दे रहे थे सेवा :-

शंकर साह अपने तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे। बीएसएफ में वर्ष 1989 में बहाल हुए। फिलवक्त वे हरियाणा के हिसार बॉर्डर से करनाल जेल में तैनात थे। उनकी तबीयत खराब होने के बाद उनको चंडीगढ़ में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई। चंडीगढ़ से दिल्ली फिर स्पेशल हवाई जहाज से उनका शव पटना पहुंचा। पटना से एनडीआरएफ की टीम शव को लेकर बगहा पहुंची। मृत सैनिक अपने पीछे पत्नी, दो पुत्री सहित एक बारह वर्षीय पुत्र को छोड़ गए है। उनका अंतिम संस्कार सैनिक सम्मान के साथ गंडक नदी के तट पर किया गया।

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