बॉर्डर खोलने के लिए अभी तक नहीं आया कोई आधिकारिक आदेश

भारत - नेपाल बॉर्डर सितंबर माह के पहले सप्ताह से खोले जाने की संभावना को लेकर दोनों देश के बॉर्डर पर बसे लोग काफी प्रसन्न हैं। लेकिन अभी तक बॉर्डर को खोलने से संबंधित कोई अधिकारिक आदेश नहीं आया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Sep 2020 01:01 AM (IST) Updated:Wed, 02 Sep 2020 01:01 AM (IST)
बॉर्डर खोलने के लिए अभी तक नहीं आया कोई आधिकारिक आदेश
बॉर्डर खोलने के लिए अभी तक नहीं आया कोई आधिकारिक आदेश

बेतिया । भारत - नेपाल बॉर्डर सितंबर माह के पहले सप्ताह से खोले जाने की संभावना को लेकर दोनों देश के बॉर्डर पर बसे लोग काफी प्रसन्न हैं। लेकिन अभी तक बॉर्डर को खोलने से संबंधित कोई अधिकारिक आदेश नहीं आया है। कोरोना संक्रमण को लेकर बॉर्डर मार्च के आखिरी हफ्ते से ही सील है। दोनों देशों के बॉर्डर इलाका में रहने वाले लोगों को बस इंतजार इस बात की है- कि कब भारत - नेपाल में आने जाने का रास्ता खुले। मैनाटांड प्रखंड में इंडो - नेपाल बॉर्डर पर स्थित नेपाल के गांव जैसे नगरदेहि,भेडिहरवा,टिहुकी , चेरगाहा,भिस्वा, मिर्जापुर, भलुवहीया, पांडेपुर, बलुआ आदि ये सभी गांव भारत के सीमा से सटे है। इन सभी गांवों के लगभग साठ प्रतिशत लोग काम करने के लिए भारतीय क्षेत्र के बाजार जैसे मैनाटांड़ ,सिकटा, पुरुषोत्तमपुर, बलथर, इनरवा,भागहां आदि बाजारों में जाते थे। कोई यहां मजदूरी करता था, किसी की दुकान थी, कोई घर बनाने का काम करता था, तो कोई सिलाई का काम करता था। बॉर्डर सील होने से इनकी परेशानी बढ़ गई है। भारतीय क्षेत्र के इनरवा गांव के

बच्चा साह कहते हैं कि, भारत और नेपाल दो अलग-अलग देश हैं ऐसा हमें कभी लगा ही नहीं। न कभी कोई जांच हुई, न पड़ताल। कोई कागज कभी नहीं लगा। बस साइकिल उठाई और पहुंच गए नेपाल। अपनी जिदगी में पहली दफा ऐसा देख रहे हैं कि बॉर्डर सील है और यहां-वहां से आने-जाने पर रोक है। नेपाल के देशावता गांव की

संतोषी देवी कहती हैं कि, पहले दिन में एक भी आदमी गांव में नहीं होता था लेकिन अब सब दिनभर सड़क पर घूमते रहते हैं। लॉकडाउन के चलते सभी बेरोजगार हो गए हैं। अब बॉर्डर खुल जाएगा तो सभी लोगों को काम मिलने लगेगा।

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बॉर्डर खुले तो बेटी से मिलने जाएं नेपाल मैनाटांड़ प्रखंड अंतर्गत मझरिया गांव की लड़की संगीता की शादी नेपाल के चेरगाहा गांव में मई महीने में तय की गई थी। फिर लॉकडाउन लग गया और बॉर्डर सील हुआ। शादी के दिन लड़की को अकेले ही नेपाल के मंदिर में ले जाकर शादी करवानी पड़ी। लड़की के किसी भी रिश्तेदार को नेपाल में नहीं जाने दिया गया। इसमें लड़के का तो पूरा परिवार था लेकिन लड़की तरफ से कोई नहीं था। शादी के बाद अभी तक लड़की अपने मायके (भारत) नहीं आ सकी है। उसके परिवार का कोई भी नेपाल नहीं गया है। दोनों को ही बॉर्डर खुलने का इंतजार है ।

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कोट

आधिकारिक तौर पर बॉर्डर खोलने को लेकर अभी कोई पत्र या सूचना प्राप्त नहीं हैं। सोशल मीडिया में हीं दिख रहा है कि सितंबर माह में बॉर्डर खुल जाएगा। आदेश आने के बाद हीं बॉर्डर खुलेगा।

-- शैलेश कुमार सिंह ,डिप्टी कमांडेंट, एसएसबी 44वीं बटालियन

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