कोरोना फ्रंटलाइन वारियर्स की मदद में जुटे रक्तदाता

कोरोना काल में बेतिया के रक्तदाता समूह की कार्यशैली में बदलाव आया है। यहां के रक्तदाता समूह ने फ्रंटलाइन वारियर्स को विभिन्न तरह से मदद पहुंचाने का अभियान शुरू किया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 12:05 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 12:05 AM (IST)
कोरोना फ्रंटलाइन वारियर्स की मदद में जुटे रक्तदाता
कोरोना फ्रंटलाइन वारियर्स की मदद में जुटे रक्तदाता

बेतिया । कोरोना काल में बेतिया के रक्तदाता समूह की कार्यशैली में बदलाव आया है। यहां के रक्तदाता समूह ने फ्रंटलाइन वारियर्स को विभिन्न तरह से मदद पहुंचाने का अभियान शुरू किया है। कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगे चिकित्सक, नर्स, पुलिसकर्मियों व सफाईकर्मियों के बीच ओआरएस घोल, इम्युनिटी बूस्टर, गर्म पानी, काढ़ा आदि का वितरण करते हैं। समूह से जुड़े लोग प्रतिदिन सुबह 9 बजे शहर के किसी खास जगह पर एकत्रित होते हैं। किसी के हाथ में ओआरएस का पैकेट रहता तो किसी के थरमस में काढ़ा। शहर में घूम-घूम कर फ्रंटलाइन वारियर्स यानी चौराहे पर ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी, अस्पताल की नर्स, सफाई कर्मियों के बीच ओआरएस के घोल, गर्म पानी, काढ़ा आदि का वितरण करते हैं।

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वाट्सएप ग्रुप बनाकर 200 लोगों को समूह से जोड़ा

दो वर्ष पूर्व बेतिया के सात व्यवसायियों ने मिलकर रक्तदान समूह की स्थापना की थी। संस्थापक सदस्य आशीष कुमार उदयपुरिया, मनीष कुमार पोद्दार, सुमित कुमार, जितेंद्र कुमार, नीरज कुमार मिश्र, स्वाति कुमारी, मंजीत सहाय ने वाट्सएप ग्रुप बनाकर करीब 200 से ज्यादा लोगों को जोड़ा था। इनमें बेतिया, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, पटना के लोग भी हैं। समय-समय पर शिविर लगाकर लोगों से रक्तदान कराते हैं। किसी को रक्त की जरूरत पड़ने पर वाट्सएप ग्रुप से इसकी जानकारी दी जाती है। फिर जरूरतमंद को रक्त मुहैया कराते हैं। समूह के लोग खुद भी रक्तदान कर जरूरतमंदों की मदद करते हैं। सदस्यों ने करीब 400 लोगों को रक्त की मदद पहुंचाई है। रक्तदाता समूह के संस्थापक सदस्य व्यवसायी आशीष कुमार उदयपुरिया बताते हैं कि कोरोना काल में रक्तदान की गति धीमी हो गई है। इस कारण फ्रंटलाइंस वारियर्स को मदद पहुंचाने के अभियान पर काम चल रहा है। रक्त संग्रह के अलावा कोरोना फ्रंटलाइन वारियर्स को मदद पहुंचाना सबसे बड़ी सेवा है।

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प्रतिदिन 30 से 40 वारियर्स को पहुंचाते हैं मदद

रक्तदाता समूह के युवक प्रतिदिन 30 से 40 वारियर्स तक पहुंच मदद पहुंचाते हैं। इसके लिए सरकारी से लेकर विभिन्न शिविरों व क्वारंटाइन सेंटर में जाते हैं। इस पर प्रतिदिन करीब 800 से एक हजार तक का खर्च आता है। इसे सदस्यों के आपसी चंदे से पूरा कर लिया जाता है। आशीष कुमार बताते हैं कि कुछ लोग गुप्त दान भी करते हैं जिससे खर्च वहन होता है।

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प्लाज्मा डोनेशन कराने की भी है योजना

रक्तदाता समूह के संस्थापक सदस्य लाल बाजार के मनीष कुमार पोद्दार ने बताया कि प्लाज्मा डोनेशन कराने की भी योजना बनाई गई है। समूह के पहल पर पांच छह लोगों ने प्लाज्मा देने की हामी भरी है। श्री पोद्दार ने कहा कि अभी बेतिया में ऐसा कोई मरीज उन लोगों से संपर्क नहीं किया है। अगर किसी की जरूरत पड़ी तो प्लाज्मा भी उपलब्ध कराया जाएगा।

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