वीटीआर के कोर एरिया में पर्यटकों के प्रवेश करने पर रोक
बेतिया। वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) में जानवरों की सुरक्षा और बाहरी हस्तक्षेप से दूर रखने के लिए कई उपाय किए गए हैं।
बेतिया। वीटीआर (वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) में जानवरों की सुरक्षा और बाहरी हस्तक्षेप से दूर रखने के लिए कई उपाय किए गए हैं। यहां जंगल के एक हिस्से को कोर एरिया बनाया गया है, जहां पर्यटकों को जाने की इजाजत नहीं है। इसकी निगरानी के लिए बकायदा वनकर्मियों की तैनाती की गई है। तकरीबन 860 वर्गकिलोमीटर में फैले वीटीआर में 270.58 वर्ग किलोमीटर ही पर्यटन जोन निर्धारित है। कोई भी पर्यटकीय गतिविधियां इसी सीमा तक मान्य हैं। इसके बाद कोर एरिया आ जाता है। इसका क्षेत्रफल 589.79 वर्ग किलोमीटर है। पर्यटक चाहें टाइगर सफारी के वाहन से घूमते हैं या फिर वनक?मयों की देखरेख में, उन्हें कोर एरिया में जाने की इजाजत नहीं होती। इसकी निगरानी के लिए बकायदा वनकर्मियों की तैनाती है। वीटीआर को जून में पर्यटकों के लिए बंद कर दिया जाता है। उसे फिर नवंबर में खोला जाता है। जब वीटीआर पर्यटकों के लिए खुला रहता है, तब भी कोर एरिया में किसी को जाने की अनुमति नहीं होती है।
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सालभर पर्यटकों का प्रवेश वन्य प्राणियों की सेहत के लिए ठीक नहीं
वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड फॉर नेचर (इंडिया) के लैंडस्केप को-आर्डिनेटर डा. कमलेश मौर्य कहते हैं कि किसी भी टाइगर रिवर्ज को सालभर पर्यटकों का प्रवेश बाघ एवं अन्य वन्य प्राणियों की सेहत के ख्याल से ठीक नहीं है। वन्य प्राणियों को भी राहत एवं आराम मिलना चाहिए। पर्यटन को सिर्फ आर्थिक रूप से नहीं, बल्कि वन्य जीवों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए।
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वन्य जीवों को किसी तरह का बाहरी हस्तक्षेप पसंद नहीं
वीटीआर के क्षेत्र निदेशक एचके राय का कहना है कि वन्य जीवों को किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप पसंद नहीं करते हैं। खासतौर से हिरण, चितल, सांभर जैसा वन्य प्राणी तो काफी शांतप्रिय होते हैं। किसी भी प्रकार का कोलाहल होना उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। इसे देखते हुए ही पांच महीने वीटीआर को बंद रखा जाता है। अन्य दिनों में कोर एरिया में भी पर्यटकों नहीं जाने दिया जाता।