यहां प्रतिदिन 300 गरीबों के लिए लजीज व्यंजन की व्यवस्था

बेतिया । कोरोना की पहली लहर में करीब पांच माह और दूसरी लहर में भी लगभग तीन माह पूरे होने वाले हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 11:18 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 11:18 PM (IST)
यहां प्रतिदिन 300 गरीबों के लिए लजीज व्यंजन की व्यवस्था
यहां प्रतिदिन 300 गरीबों के लिए लजीज व्यंजन की व्यवस्था

बेतिया । कोरोना की पहली लहर में करीब पांच माह और दूसरी लहर में भी लगभग तीन माह पूरे होने वाले हैं। यहां प्रतिदिन 300 गरीबों को मुफ्त में लजीज व्यंजन परोसा जाता है। नगर निगम की निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया की ओर से सामुदायिक किचन की व्यवस्था की गई है। प्रतिदिन दोपहर 12 बजे शहर के लालबाजार के हजारीमल धर्मशाला के समीप बाबा पातालेश्वर मंदिर परिसर में गरीबों और निशक्तों की लाइन लग जाती है। श्रीमती सिकारिया स्वयं उपस्थित रहकर लोगों को कोरोना गाइडलाइन के अनुसार कतार में खड़ा कराती हैं। पहले साबुन से हाथ धुलाया जाता है। फिर भोजन की थाली दी जाती है। प्रतिदिन लगभग दस हजार रुपये खर्च हो रहे हैं। यह राशि शहर के प्रसिद्ध व्यवसायी व श्रीमति सिकारिया के पति रोहित सिकारिया खर्च करते हैं। यहां भोजन करने के लिए कोई बंधन नहीं है। असहाय और गरीबों के अलावा ग्रामीण इलाकों से आने वाले रिक्शा, ठेला, टांगा,ऑटो चालक भोजन करते हैं। साठ फीसद ऐसे लोग भी हैं, जो यहां नियमित भोजन करते हैं। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में जब गरीबों व मजदूरों का रोजी रोजगार बंद हो गया, तब बीती 09 मई को गरिमा देवी सिकारिया सामुदायिक किचन आरंभ किया। सदर एसडीएम विद्यानाथ पासवान ने किचन का उद्घाटन किया था। मई से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक किचन में दोनों वक्त भोजन की व्यवस्था की गई थी। फिलहाल, सिर्फ दिन में दाल, चावल, सब्जी और पापड़ की थाल परोसी जा रही है। श्रीमती सिकारिया ने बताया कि वे स्वयं किचन में पक रहे भोजन की निगरानी करती हैं। गुणवत्ता की खुद जांच भी करती है।गरीबों को थाली भी परोसती है।

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विपदा में मिला बहुत बड़ा सहारा

सामुदायिक किचन में भोजन कर रहे ठेला चालक राजेंद्र, रिक्शा चालक मनोज, टेंपो चालक अजय, पलदार रामचंद्र आदि का कहना है कि अभी तो कुछ कमाई हो जा रही है, जिससे किसी तरह से परिवार का खर्च चल रहा है। लेकिन जब कोरोना की पहली व दूसरी लहर में लॉकडाउन की स्थिति थी, उस वक्त तो मानो भूखो मरने की नौबत थी। ऐसे वक्त में सामुदायिक किचन आरंभ हुआ था, जिसमें नियमित रूप से भोजना मिलता है।

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पहली लहर में पांच माह तक चला था किचन

पिछले वर्ष के लॉकडाउन में भी गरिमा देवी सिकारिया ने निजी कोष से शिविर का संचालन किया था। निशुल्क भोजन शिविर में पांच माह तक गरीबों को मुफ्त में भोजन दिया गया था।उनका कहना है कि भूखे को भोजन कराना पुण्य का काम है। इस नेक काम में उनके पूरे परिवार के लोगों का सहयोग हैं। पूरे देश पर कोरोना महामारी का संकट है। यह अमीर- गरीब का भेद किए बिना पीड़ा और मौत बांट रहा था। अभी तो इसकी रफ्तार थमी है। वैसे हालात में जिले में लॉकडाउन से गरीबों को भूखरूपी दानव परास्त न करें। इस लिए सेवा भाव से किचन आरंभ किया गया। बहुत लोगों की दुआएं मिल रही हैं।

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