अजब-गजब: एक एेसा गांव, लोग रहते हैं बिहार में, खाना बनाते हैं उत्तर प्रदेश में

बिहार के पश्चिमी चंपारण के धूमनगर पंचायत के ठकराहां प्रखंड में लोग रहते हैं बिहार में राशन कार्ड से अनाज उठाते हैं बिहार में। लेकिन उनका खाना उत्तर प्रदेश में बनता है। जानिए वजह

By Kajal KumariEdited By: Publish:Sat, 21 Sep 2019 03:49 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 11:13 PM (IST)
अजब-गजब: एक एेसा गांव, लोग रहते हैं बिहार में, खाना बनाते हैं उत्तर प्रदेश में
अजब-गजब: एक एेसा गांव, लोग रहते हैं बिहार में, खाना बनाते हैं उत्तर प्रदेश में

पश्चिम चंपारण [विनय पाठक]। कागजों में धूमनगर पंचायत पश्चिम चंपारण के ठकराहां प्रखंड में, लेकिन यहां के लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं। ये सिर्फ जरूरी सरकारी काम और राशन कार्ड पर अनाज लेने के लिए यहां आते हैं। 20 साल पहले गंडक में आई बाढ़ और कटाव में भेंट चढ़ी यह पंचायत आज भी बेहाल है। 

धूमनगर पंचायत की आबादी तीन हजार चार सौ पचास है, लेकिन रहते महज सौ लोग हैं। इसमें चार वार्ड भरपटिया, चनहीं, ब्रह्मस्थान और धूमनगर हैं। वर्ष 1998 से लेकर 2002 तक की बाढ़ में भरपटिया को छोड़ अन्य वार्डों के सभी आधा दर्जन टोले बह गए। तब से बाकी तीनों वार्ड सिर्फ कागजों में गुलजार हैं।

सिर्फ दो दर्जन परिवार भरपटिया में रहते हैं। अन्य लोग सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के गजिया, महुअवाबारी, लक्ष्मीपुर, तमकुहीराज और कतौरा आदि गांवों में बस गए हैं। यहां तक की पंचायत की मुखिया व सरपंच भी गजिया में रहते हैं।

यूपी में बसे मतदाता पंचायत चुनाव में तय करते भविष्य

पंचायत की मतदाता सूची में तकरीबन तेरह सौ मतदाता हैं। पंचायत चुनाव में इनकी पूछ बढ़ जाती है। प्रत्याशी बिहार में बसे चंद परिवारों को छोड़ यूपी के गांवों का दौरा करते हैं। वहां रह रहे मतदाता ही पंचायत का भविष्य तय करते हैं। चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि शायद ही कभी दर्शन देते हैं।

हाल ही में पंचायत में सेविका व सहायिका के चयन के लिए आमसभा का आयोजन यूपी में ही हुआ। स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध भी दर्ज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

किसी अधिकारी ने आज तक नहीं ली सुध

भरपटिया में मध्य विद्यालय व आंगनबाड़ी केंद्र है। यहां रह रहे नवल भर, सुमन देवी, बालचंद यादव, बालखिला यादव और भिखारी यादव ने बताया कि पंचायत का शेष हिस्सा नदी की धारा के उस पार है। वहां भी कुछ लोग रहने को मजबूर हैं। वहां आज तक बिजली नहीं पहुंची है। जाने का कोई साधन नहीं है।

यूपी में रह रहे लोग सिर्फ सरकारी काम और खेती करने आते हैं। उपेक्षा का हाल यह है कि आज तक किसी अधिकारी ने पंचायत की वास्तविकता जानने की कोशिश तक नहीं की। इस बार भी गंडक कटाव कर रही है। ऐसे में पंचायत के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो गया है। 

मुखिया राजपति देवी कहती हैं कि पंचायत के लोग नदी की कटान से विस्थापित हो गए हैं। विकास के लिए सभी जनप्रतिनिधि प्रयास करते हैं। वाल्मीकिनगर विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह उर्फ रिंकू का कहना है कि विधानसभा में यह मुद्दा उठाकर विस्थापित लोगों को बसाने की कोशिश करूंगा।

एसडीएम बगहा, विजय प्रकाश मीणा का कहना है कि वहां का दौरा कर स्थिति देखी जाएगी। नए सिरे से पंचायत का परिसीमन किया जाएगा। इसके लिए बीडीओ को आवश्यक निर्देश दिया गया है।

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