एक ही नाम के दो गाव, नेपाल सीमा पर अगल-बगल बसे

भारत और नेपाल सीमा पर एक ही नाम के बसे दो गाव।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 Aug 2020 12:16 AM (IST) Updated:Fri, 28 Aug 2020 12:16 AM (IST)
एक ही नाम के दो गाव, नेपाल सीमा पर अगल-बगल बसे
एक ही नाम के दो गाव, नेपाल सीमा पर अगल-बगल बसे

बेतिया। भारत और नेपाल सीमा पर एक ही नाम के बसे दो गाव। नाम है भेड़िहरवा। दोनों देश के सीमाकन के लिए नाले के पास पिलर लगा है। नेपाल का भेड़िहरवा और भारत का भेड़िहरवा। कहने को यह पिलर दोनों देशों को बांटता, लेकिन यहा के बाशिदों के दिलों में कोई सीमाकन नहीं है। एक-दूसरे के सहयोग से इनकी जिंदगी चल रही है। खासतौर से नेपाली परिवारों की जिंदगी भारत पर आश्रित है।

पश्चिम चंपारण के मैनाटांड प्रखंड के भेड़िहरवा गाव में करीब 200 घर हैं। वहीं, नेपाल के भेड़िहरवा के 125 घर। दोनों गांव इस तरह बसे हैं कि पता ही नहीं चलता कि अलग हैं। गांव से गुजरती एक सड़क के दाहिने नेपाल का भेड़िहरवा तो बायें भारत का। कोरोना को लेकर सीमा सील है, लेकिन नेपाल के भेड़िहरवा के लोगों की जिंदगी भारत के भरोसे है। इनके घरों के चूल्हे भारतीय बाजार से खरीदी गई सामग्री से जलते हैं। प्रतिदिन वहा के सैकड़ों मजदूर मैनाटाड़, इनरवा आदि इलाके में मजदूरी करने आते हैं। दिनभर मजदूरी के बाद शाम को भारतीय बाजार से चावल, दाल, नमक, साग-सब्जी खरीदकर लौट जाते हैं।

भारत से दिल का नाता : सचिदानंद प्रसाद का कहना है कि हमलोग की जिंदगी भारत पर निर्भर है। आपस में प्रेम है। राजनीतिक रूप में भले ही दोनों देश अलग हैं, लेकिन यहा के लोगों की जिंदगी एक-दूसरे से जुड़ी है। नेपाल के कृषि उत्पाद भी भारतीय बाजार में ही बेचे जाते हैं। उपेंद्र साह का कहना है कि सिर्फ घर ही नेपाल में है। सारी व्यवस्था भारत पर निर्भर है। दिनभर भारत में कमाते हैं। खाने और सोने नेपाल में आते हैं। 10 वर्ष से भारत में काम कर रहे। आशा कुमारी का कहना है कि नेपाल से कुछ नहीं मिलता है। बीरगंज बाजार जाने का कोई साधन नहीं है। कोरोना के चलते सीमा सील होने से थोड़ी दिक्कत है। लेकिन, एसएसबी के जवानों से आग्रह करने पर वे मान जाते हैं। यहा के सभी लोग भारत के मैनाटाड़ बाजार से खरीदारी करते हैं।

नमक के लिए भी भारत पर निर्भर : रामनाथ दास कहते हैं कि नमक के लिए भी भारत पर ही निर्भरता है। गन्ना उपजाते हैं और आपूíत नरकटियागंज चीनी मिल में करते हैं। नेपाल से एक रुपये का कारोबार नहीं होता। सोहन पटेल का कहना है कि भारतीयों से सहयोग मिलता है।

पईन की सफाई जरूरी : भारत के भेड़िहरवा के नागेंद्र पंडित का कहना है कि सिंचाई के लिए वर्षो पूर्व बनी पईन पर दोनों देशों के नागरिकों ने अतिक्रमण कर लिया है। इसकी सफाई आवश्यक है। मैनाटाड़ पंचायत के मुखिया अशोक कुमार राम का कहना है कि दोनों गावों के लोग प्रेम से रहते हैं। नेपाली गाव के लोगों की आजीविका मैनाटाड़ से ही जुड़ी है।

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