शारदीय नवरात्र की पंचमी को श्रद्धा के साथ हुई मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता हाजीपुर शारदीय नवरात्र के चौथे दिन रविवार को भक्तों ने माता के पांचवें

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Oct 2021 11:47 PM (IST) Updated:Sun, 10 Oct 2021 11:47 PM (IST)
शारदीय नवरात्र की पंचमी को श्रद्धा के साथ हुई मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना
शारदीय नवरात्र की पंचमी को श्रद्धा के साथ हुई मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता, हाजीपुर :

शारदीय नवरात्र के चौथे दिन रविवार को भक्तों ने माता के पांचवें स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूरे श्रद्धाभाव के साथ आराधना की। सोमवार को माता के छठे स्वरूप देवी कात्यायनी की आराधना व पूजा-अर्चना की जाएगी।

आचार्यों ने मां स्कंदमाता के संबंध में बताया कि स्कंद शिव और पार्वती के दूसरे और षडानन (छह मुख वाले) पुत्र कार्तिकेय का एक नाम है। स्कंद की मां होने के कारण ही नाम स्कंदमाता पड़ा। माना जाता है कि मां दुर्गा का यह रूप अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं की पूर्तिकर्ता हैं और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाती हैं। भक्तों ने मां स्कंदमाता की श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना की। प्रसाद के रूप में माता को केले का भोग लगाया।

आज श्रद्धालु करेंगे मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना आचार्यों ने कहा कि नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। देवी मां के छठे स्वरूप को कात्यायनी के नाम से पुकारा जाता है। मां कात्यायनी को दानवों और पापी जीव धारियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। मान्यता के अनुसार इनकी उपासना से संपूर्ण रोगों और भय का नाश होता है। माता कात्यायनी को शहद का भोग लगाया जाता है।

अपने भक्तों की रक्षा करती हैं मां दुर्गा पंडितों का कहना है कि माता दुर्गा आद्यशक्ति हैं। रुद्रयामल तंत्र में आद्यशक्ति का निर्वचन करते हुए प्रतिपादित किया गया है कि जो दुर्गा के समान अपने भक्तों की रक्षा करती है अथवा जो अपने भक्तों को दुर्गति से बचाती है, वह माता दुर्गा हैं। ब्रह्मा, विष्णु और महेश उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन-पोषण और संहार करते हैं। मार्कण्डेय पुराण में वर्णित है कि सांसारिक कष्टों यानी जिनको धर्म की भाषा में दुर्गति कहते हैं, उससे मुक्ति के लिए दुर्गा की उपासना से स्वर्ग जैसे भोग और मोक्ष जैसी शांति मिल जाती है।

गाजीपुर में अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर बना दुर्गा पंडाल देसरी : प्रखंड के गाजीपुर उफरौल चौक पर दुर्गा पूजा समिति के सदस्यों ने अक्षरधाम के तर्ज पर भव्य दुर्गा पंडाल का निर्माण कराया है। यह पंडाल यहां आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। समिति सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष दुर्गा पूजा के लिए माता रानी का पंडाल दिल्ली स्थित विश्व के प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर की तरह बनाया गया है। इसकी चौड़ाई 25 फीट, ऊंचाई 75 फीट, लंबाई 30 फीट है। पंडाल का रंग भगवा और पूरी तरह से वाटर प्रूफ है। इसे पश्चिम बंगाल के 25 कारीगरों ने दिन-रात कड़ी मेहनत कर बनाया है। इसी तरह देसरी के महावीर मंदिर, कृष्णा चौक और पुरानी दुर्गा स्थान पर मां दुर्गा की प्रतिमा सजधज कर करीब-करीब तैयार हो चुकी है। इस वर्ष कहीं भी मेला का आयोजन नही किया गया है। श्रद्धालु कोरोना के गाइडलाइन का पालन कर मां दुर्गा का दर्शन और पूजा कर वापस लौट जाएंगे। पूजा को लेकर वातावरण भक्तिमय बन गया है।

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