जिले में कलश स्थापन के साथ आज से श्रद्धालु करेंगे शक्ति की आराधना

जागरण संवाददाता हाजीपुर शारदीय नवरात्र का शुभारंभ कलश स्थापना के साथ गुरुवार को हो

By JagranEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 11:42 PM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 11:42 PM (IST)
जिले में कलश स्थापन के साथ आज से श्रद्धालु करेंगे शक्ति की आराधना
जिले में कलश स्थापन के साथ आज से श्रद्धालु करेंगे शक्ति की आराधना

जागरण संवाददाता, हाजीपुर :

शारदीय नवरात्र का शुभारंभ कलश स्थापना के साथ गुरुवार को हो रहा है। इस बार माता रानी डोली पर सवार होकर आ रहीं हैं, वहीं प्रस्थान हाथी पर होगा। शारदीय नवरात्र को लेकर जिले के विभिन्न मंदिरों व देवी स्थानों को इसके लिए विशेष तौर पर सजाया गया है। सभी देवी स्थानों एवं घरों में अगले नौ दिनों तक मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ होगा। हिदू धर्मावलंबियों के लिए नवरात्र का विशेष महत्व है। नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की आराधना पूरे भक्ति भाव से की जाती है। कोरोना के गाइडलाइन का पालन करने का सभी को निर्देश दिया गया है। वहीं पूजा समितियों को जिला प्रशासन की ओर से आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। पूजन सामग्री की खरीदगी को लेकर बुधवार को पूरे दिन बाजार में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इसके कारण सुबह से लेकर शाम तक बाजार में जाम की स्थिति रही। कलश स्थापन का शुभ मुहूर्त आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानी 7 अक्टूबर गुरुवार को शारदीय नवरात्र का शुभारंभ कलश स्थापन से किया जाएगा। सुबह 11.36 से 12.24 बजे तक अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना का खास शुभ मुहूर्त है। माता का आगमन डोली पर एवं प्रस्थान हाथी पर इस बार नवरात्र में माता दुर्गा का आगमन एवं प्रस्थान दोनों ही शुभ है। शनिवार को डोली पर होगा, जो लोगों के लिए सामान्य फलदायक है। वहीं, माता का प्रस्थान विजयादशमी को हाथी पर होगा, जो शुभ माना गया है। त्रेतायुग में श्रीराम ने शुरू की दुर्गा पूजा पंडितों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्र होते हैं। लेकिन शारदीय नवरात्र को अधिक महत्व दिया गया है। शारदीय दुर्गा पूजा वैदिक काल से ही प्रचलित रही है। देवी भागवत के अनुसार जब भगवान श्रीराम सीता हरण हो जाने के बाद लंका पर आक्रमण करने के लिए तैयार हुए। तब देवर्षि नारद के परामर्श पर श्री रामचंद्र जी ने शारदीय नवरात्र का व्रत करके जगदंबा को प्रसन्न किया। महाशक्ति से वरदान प्राप्त करके श्रीराम ने रावण का वध किया और सीताजी को लेकर अयोध्या वापस लौट आए। पंडितों ने कहा कि शारदीय दुर्गा पूजा की परंपरा त्रेतायुग में श्रीराम ने शुरू की।

शारदीय नवरात्र का आध्यात्मिक महत्व शारदीय नवरात्र का आध्यात्मिक महत्व आज भी है। शारदीय नवरात्र आत्मशक्ति अर्जित करने का अवसर देता है। आंतरिक शक्ति से ही उत्साहित होकर लोग सफलता के पथ पर अग्रसर हो सकते है। शारदीय नवरात्र में शक्ति पूजा का मूल उद्देश्य सोई हुई आत्मशक्ति को जगाना है। इसी कारण शारदीय नवरात्र शक्ति के जागरण का महापर्व है। आप भगवती का जिस रूप में ध्यान करेंगे। वे उसी रूप में आप पर अपनी अनुकंपा करेगी। प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना आज शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन शनिवार को माता के प्रथम स्वरूप देवी शैलपुत्री की आराधना व पूजा-अर्चना की जाएगी। कई पंडितों व आचार्यों ने माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा कि नवदुर्गा में गिरराज हिमवान की पुत्री शैलपुत्री का नाम सर्वप्रथम आता है। श्वेत एवं दिव्य स्वरूपा वृषभ पर आरूढ आदि महाशक्ति रुपा सती पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री थी। जब दक्ष ने एक यज्ञ के आयोजन में सभी देवताओं को आमंत्रित किया। लेकिन आदिदेव भगवान शंकर को नहीं बुलाया। तब सती हठपूर्वक भगवान शंकर को साथ लेकर अपने पिता के घर गई थीं। पक्ष प्रजापति ने सती के सामने ही भगवान भोलेनाथ का अपमान कर दिया। सती इसे बर्दाश्त न कर सकीं। स्वामी के अपमान से तिलमिला उठी सती यज्ञ वेदी में कूद गईं तथा अपनी शक्ति का आह्वान करके अपने प्राण त्याग दी। कोरोना के गाइडलाइन का करना होगा पालन

कोरोना को लेकर बीते वर्ष की ही तरह इस बार वर्ष भी दुर्गापूजा पर भी खासा असर पड़ा है। जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार ने इस संबंध में व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। दुर्गापूजा में इस बार भी पूरे जिले में कहीं भी मेला नहीं लगेगा। वहीं रावण वध का भी कार्यक्रम इस बार नहीं होगा। कोरोना के संक्रमण एवं सरकार के स्तर पर जारी निर्देश का पालन सभी पूजा समितियों एवं श्रद्धालुओं को करना होगा।

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