लोगों की जुटान के बीच विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला अपने शबाब पर

शंकर सिंह सोनपुर लगातार दूसरे वर्ष इस बार भी सरकार के स्तर पर विश्व विख्यात हरिहरक्ष्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 11:30 PM (IST) Updated:Mon, 22 Nov 2021 11:30 PM (IST)
लोगों की जुटान के बीच विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला अपने शबाब पर
लोगों की जुटान के बीच विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला अपने शबाब पर

शंकर सिंह, सोनपुर :

लगातार दूसरे वर्ष इस बार भी सरकार के स्तर पर विश्व विख्यात हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला नहीं लगाया गया है। लोगों को उम्मीद थी कि इस बार सरकार मेला लगाएगी। किसी तरह सरकार ने कार्तिक पूर्णिमा स्नान की रस्म अदायगी की। इधर, श्रद्धालुओं के जाने के बाद भी मेले में लोगों की लगातार भीड़ बनी हुई है। दो वर्षों से कोरोना को लेकर मेला नहीं लगाए जाने को लेकर रोजी-रोटी तथा परिवार की जीविका के लिए कुछ कमाई करने की ललक में अनेकों छोटे-बड़े कारोबारी व दुकानदार यहां आ गए और मेला लग गया। भले ही यह अघोषित मेला है, किन्तु इस मेले में भी दर्शकों तथा खरीदारों की लगातार भीड़ लगी हुई है।

मेला समिति के गैर सरकारी सदस्य राम विनोद सिंह बताते हैं की यह दूसरा वर्ष है जब कोविड-19 को लेकर देश का गौरव माना जाने वाला यह धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक व सांस्कृतिक मेला सरकार के स्तर पर नहीं लगाया जा सका। मेला नहीं लगने के कारण सैकड़ों गरीब परिवारों को आर्थिक कठिनाई, अभाव और गरीबी का सामना करना पड़ रहा है। यह मेला लगभग दो महीने तक आर्थिक और व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बना रहता है। मेला की इन आर्थिक गतिविधियों से जम्मू कश्मीर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब व बिहार के अनेकों कारोबारी जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया की कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बाबा हरिहर नाथ की कृपा से कभी इस मेले में कोई अप्रिय घटना घटित नहीं हुई। सरकार को संक्रमण से सुरक्षित मेला लगाए जाने के उपायों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

दूसरी ओर मेला के नखास एरिया में जहां दिनों की संख्या में फुटपाथ दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजा रखी है। वहीं बाघ वाले बच्चे बाबू के आवासीय परिसर तथा उनके सामने रैन बसेरा के बगल में मेले की गहमागहमी बनी हुई है। यहां गर्म कपड़ों से लेकर रजाई, स्वेटर, मफलर, चादर समेत विभिन्न प्रकार की वस्तुओं की दुकानें लगी हुई है। यही तस्वीर नखास से दक्षिण निजी मकानों में लगाई गई दुकानों की भी है। यहां भी लगातार दर्शकों की भीड़ लगी हुई है। दुकानदारों की बिक्री भी हो रही है। लोहा बाजार, लकड़ी बाजार आदि देखने और खरीदारी करने के लिए दर्शक चिड़िया बाजार रोड में जमे हुए हैं।

सरकार का आदेश नहीं मिलने के कारण इस बार मनोरंजन तथा खेल-तमाशे आदि मेले में नहीं लाए जा सके है। सांस्कृतिक आयोजनों के पंडाल में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। इन सबके बावजूद अनेक प्रकार की वस्तुओं की दुकानों के आ जाने से मेले में रौनक बनी हुई है। पूरे दिन मेले में चहल-पहल के बीच लोग खरीदारी कर रहे हैं। रविवार को मेले में आने वाले लोगों की भीड़ के कारण पुरानी गंडक पुल पर जाम की स्थिति रही। लोगों की यह भीड़ यहां बता रही है कि लोगों में मेला को कितनी उत्सुकता रहती है। यह अलग बात है कि हुक्मरानों को लोगों की यह बात या तो समझ में नहीं आई या फिर कोशिश ही नहीं की गई। कोरोना को लेकर पटरी से उतरी तरक्की की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिशों के बीच मेले से जुड़े हजारों लोगों ने मजबूरी में ही सही यहां पहुंच फुटपाथ पर ही बैठकर अपनी दुकानें सजा दी और सरकार को यह बताने की कोशिश की कि साहब यह पापी पेट का सवाल है ? आखिर कब तक सरकार का इंतजार करें ? कुछ कारोबार हो जाएगा तो कम से कम परिवार तो चलेगा।

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