वैशाली में स्वर्णप्राशन से चमकी को धमकी देने की आयुर्वेद की पहल

वैशाली जिले में चमकी से बच्चों की मौत के बाद कहर बरपाने वाले रोग की रोकथाम की दिशा में आयुर्वेद ने पहल शुरू ही है। एलोपैथ में अब तक कारगर इलाज नहीं मिल पाले को लेकर आयुर्वेद की इस पहल से वैशाली जिले के लोगों में उम्मीद जगी है कि शायद अब चमकी से मुक्ति मिलेगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 10:41 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 10:41 PM (IST)
वैशाली में स्वर्णप्राशन से चमकी को धमकी देने की आयुर्वेद की पहल
वैशाली में स्वर्णप्राशन से चमकी को धमकी देने की आयुर्वेद की पहल

जागरण संवाददाता, हाजीपुर :

वैशाली जिले में चमकी से बच्चों की मौत के बाद कहर बरपाने वाले रोग की रोकथाम की दिशा में आयुर्वेद ने पहल शुरू ही है। एलोपैथ में अब तक कारगर इलाज नहीं मिल पाले को लेकर आयुर्वेद की इस पहल से वैशाली जिले के लोगों में उम्मीद जगी है कि शायद अब चमकी से मुक्ति मिलेगी और असमय बच्चों के काल के गाल में समा जाने से रोका जा सकेगा। चमकी होने के मुख्य कारणों में कुपोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना माना जाता रहा है। मुजफ्फरपुर तथा वैशाली में कुपोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास की डोर अब आयुर्वेद थाम रही है। जिसमें बच्चों को स्वर्णप्राशन करा कर उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास किया जाएगा। आयुर्वेद के डॉक्टर दिनेश्वर गांवों को लेंगे गोद राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल ,कदमकुआं पटना के प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद कहते हैं कि वैशाली के वैसे गांव जहां चमकी से सबसे ज्यादा बच्चे आहत हुए हैं, वह उन गांवों को गोद लेंगे और 0 से 10 साल तक के बच्चों को छह माह स्वर्णप्राशन कराया जाएगा। इसके लिए छह सदस्यीय टीम का गठन भी किया गया है, जो जिला स्वास्थ्य समिति वैशाली के बताए गांवों का दौरा करेगी। स्वर्णप्राशन के लिए राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज एवं अस्पताल खुद खर्च का वहन करेगी। वैशाली के सिविल सर्जन डॉ. इंद्रदेव रंजन ने इसके लिए जरूरी सहयोग देने का वादा किया है। वहीं डॉ. दिनेश्वर ने जिला प्रशासन से भी उक्त कार्य में सहभागिता की गुजारिश की है। चमकी से मुक्ति को आयुर्वेद का टीकाकरण है स्वर्णप्राशन डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि जिस तरह एलोपैथ में टीकाकरण होता है उसी तरह आयुर्वेद में बच्चों का स्वर्णप्राशन होता है। जिससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह बच्चों में किए जानेवाले 16 संस्कारों में महत्वपूर्ण संस्कार है। इसे सिर्फ पुष्य नक्षत्र में करने से ज्यादा फायदा होता है। जो हर महीने में 27 वें दिन आता है। इस विधि में शुद्ध स्वर्ण को प्राशन अर्थात चाटना होता है। इस संस्कार में बच्चों को शुद्ध स्वर्ण, कुछ आयुर्वेदिक औषधि, गाय का घी तथा शहद के मिश्रण तैयार कर बच्चों का पिलाया जाता है। आयुर्वेदिक कॉलेज में हर पुष्य नक्षत्र को स्वर्णप्राशन कराया जाता है। अभियान में अन्य संगठनों से ली जाएगी मदद

डॉ. दिनेश्वर ने बताया कि चमकी के साथ ही आयुर्वेद से बच्चों में होने वाले कुपोषण से बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा। यह इतना कम खर्चीला है कि इसका लाभ गरीब व्यक्ति भी ले सकते हैं। टीम अगले दो से तीन महीने पहले से प्रभावित गांवों का दौरा कर बीमारी के कारणों की भी पहचान करेगी और आयुर्वेदिक औषधि से चमकी से निजात पाने की कोशिश करेगी।

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