श्रद्धाभाव से कलश स्थापन के साथ शारदीय नवरात्र का शुरू हुआ महानुष्ठान

जागरण संवाददाता हाजीपुर शक्ति व उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र का नौ दिवसीय अनुष्ठान

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 11:21 PM (IST) Updated:Fri, 08 Oct 2021 03:30 PM (IST)
श्रद्धाभाव से कलश स्थापन के साथ शारदीय नवरात्र का शुरू हुआ महानुष्ठान
श्रद्धाभाव से कलश स्थापन के साथ शारदीय नवरात्र का शुरू हुआ महानुष्ठान

जागरण संवाददाता, हाजीपुर :

शक्ति व उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र का नौ दिवसीय अनुष्ठान गुरुवार को पूरे विधि-विधान एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शुरू हो गया। शहर से लेकर गांवों तक सभी देवी मंदिरों एवं घरों में कलश स्थापना कर माता की विशेष पूजा-अर्चना की गई। शहर एवं गांव दुर्गा सप्तशती के श्लोक से गूंजने लगे हैं। देवी की भक्ति गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा है। वहीं शहर से गांव तक पंडालों के निर्माण का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। पंडाल के निर्माण में कारीगर दिन-रात जुटे हुए हैं। इधर, कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन करते हुए दुर्गापूजा के आयोजन का निर्देश जिला प्रशासन ने देते हुए इसकी गहन मानिटरिग भी शुरू कर दी है।

देवी मंदिरों एवं घरों में हो रही माता की विशेष पूजा-अर्चना

कई दिनों से नवरात्र की तैयारियों में पूरे श्रद्धाभाव से जुटे श्रद्धालुओं ने गुरुवार को अल सुबह नारायणी नदी के विभिन्न घाटों पर पहुंच पवित्र स्नान किया। इसके बाद नारायणी का पवित्र जल अपने घरों एवं मंदिरों में लाकर श्रद्धालुओं ने माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूरे श्रद्धाभाव से आराधना व पूजा-अर्चना की। इससे पहले पूरे विधि-विधान एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सभी पूजा स्थलों पर पूरे विधि-विधान के साथ कलश स्थापना व देवी का विशेष आह्वान किया गया। घंटा, मृदंग व करतल ध्वनि के साथ मां अम्बे की विशेष पूजा-अर्चना व आरती उतारी गई। श्रद्धालु आज करेंगे ब्रह्मचारिणी की आराधना नवरात्र के दूसरे दिन दिन यानि शुक्रवार को माता के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की आराधना व पूजा-अर्चना की जाएगी। पंडितों ने माता ब्रह्मचारिणी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सच्चिदानंदमय ब्रह्म स्वरूप की प्राप्ति करना जिनका स्वभाव हो, वे ब्रह्मचारिणी हैं। यह देवी अपने दाएं हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए रहती हैं। इनकी उपासना से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार एवं संयम की वृद्धि होती है।

108 नाम हैं माता दुर्गा के पंडितों ने कहा कि माता दुर्गा के 108 नाम हैं। भगवान शिव ने देवी पार्वती को बताया था कि इनके स्मरण मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मात्र 32 नामों की स्तुति से प्रसन्न होकर माता जीव की रक्षा करती है। अपने इन नामों का उल्लेख देवी ने देवों के आग्रह पर किया था। मां दुर्गा आद्यशक्ति हैं। ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन-पोषण और संहार करते है। पंडितों ने कहा कि मार्कण्डेय पुराण में वर्णित है कि सांसारिक कष्टों से मुक्ति के लिए दुर्गा की उपासना करनी चाहिए।

इस बार आठ दिन का ही होगा शारदीय नवरात्र

शारदीय नवरात्र में इस बार एक दिन ही चतुर्थी के साथ पंचमी होने की वजह से इस बार आठ दिन का ही नवरात्र है। नौवें दिन दशहरा मनाया जाएगा। अनुकूल नक्षत्र नहीं होने की वजह से कलश स्थापन को लेकर पंडितों के अलग-अलग मत रहे। हालांकि, पूरे दिन कलश स्थापन हुआ। संस्कृत महाविद्यालय पातेपुर के पूर्व प्राचार्य पंडित देवेंद्र झा ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्र गुरुवार को प्रारंभ होकर शुक्रवार को समाप्त हो रहा है। जिससे भगवती का आगमन डोली पर एवं गमन हाथी पर हो रहा है। दोनों का फल प्रत्यक्ष ²ष्टि गोचर हो रहा है।

राघोपुर : शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा का नौ दिवसीय पूजनोत्सव का शुभारंभ गुरुवार को कलश स्थापना से हुआ। प्रखंड के विभिन्न पंचायतों एवं घरों में श्रद्धालु पूरे श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना में जुटे हैं। मंदिर में अलसुबह से पूजा अर्चना को लेकर मंदिर भीड़ श्रद्धालुओं की जुट गई। राघोपुर के दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर, कन्हाई चौक,मेदन चौक, पहाड़पुर पूर्वी पश्चिमी, श्रीरामपुर, राघोपुर पूर्वी पश्चिमी, जुड़ावनपुर करारी, बरारी पंचायत के दुर्गा मंदिर में कलश स्थापना के साथ पूजनोत्सव शुरू हो हुआ। सोनपुर : या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:। गुरुवार को शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन संपूर्ण विधि विधान के साथ माता शैलपुत्री की पूजा अर्चना हुई। इस अवसर पर सोनपुर के विभिन्न देवी स्थानों पर कलश स्थापित कर दुर्गा पाठ किया गया। कोविड-19 को लेकर सरकार ने देवी प्रतिमा तथा पूजा-पाठ संबंधी जो दिशा निर्देश जारी किए है। सभी से अपील की गई है कि कोरोना को लेकर सरकार के स्तर पर जारी गाइडलाइन का पालन करें। चारों तरफ वातावरण दुर्गामय है। भगवानपुर : प्रखंड क्षेत्र के गुरुवार को नवरात्र का अनुष्ठान शुरू हो गया। कलश स्थापन के साथ श्रद्धालु पूरे श्रद्धाभाव से मां की अराधना में जुट गए हैं। पहले दिन सभी ने मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की। भगवानपुर, सराय, इमादपुर, मुर्गियाचक, शंभूपुर कोआरी, हरपुर गोढि़या, सहथा, रोहुआ हांसी केवल, हांसी मलाही सहित पूरे क्षेत्र में कलश स्थापना पूरे विधि विधान एवं मंत्रोचारण के साथ शनिवार को शुरू हो गया। वैशाली : शारदीय नवरात्र कलश स्थापना के साथ प्रारंभ हो गया। संपूर्ण प्रखंड क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। माता के जयकारे से वातावरण गुंजायमान हो रहा है। शारदीय नवरात्र के लिए प्रखंड क्षेत्र के सभी देवी स्थानों को सजाया गया है। वहीं बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर पर ही कलश स्थापना कर पूजा प्रारंभ किया है। गायत्री शक्तिपीठ मंदिर अबुलहसनपुर में आचार्य शंभु पांडेय के निर्देश में समाज कल्याण के लिए पूजा प्रारंभ की गई। पातेपुर : शारदीय नवरात्र महापर्व की शुरुआत कलश स्थापना के साथ ही प्रारंभ हो गया। क्षेत्र के तमाम शक्ति पीठ एवं देवी मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार की ध्वनि के साथ ही देवी दुर्गा की पूजा अर्चना में श्रद्धालु एवं भक्त रमे हुए हैं। गुरुवार को क्षेत्र के तमाम देवी मंदिरों एवं चौक-चौराहों पर स्थित पूजा पंडालों में कलश स्थापना के साथ ही मां भगवती के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा की गई। पातेपुर क्षेत्र के बरडीहा चौक स्थित मां दुर्गा मंदिर परिसर में काफी समय से सामूहिक पूजा का प्रचलन चलता आ रहा है। मालपुर शिवना चौक स्थित दुर्गा मंदिर, बहुआरा, आरा मिल चौक, पातेपुर ट्रांसफार्मर चौक, मुसापुर चौक समेत दर्जनों स्थानों पर सुबह शाम वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना से पूरा प्रखंड क्षेत्र भक्तिमय हो गया है। महुआ : महुआ प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न भागों में शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन गुरुवार को कलश स्थापना के साथ ही शक्ति की देवी मां दुर्गा का पूजा अर्चना प्रारंभ हो गया। जिले के प्रसिद्ध शक्तिपीठ सिघाड़ा गोविदपुर में नौ आचार्यों की मंडली ने कलश स्थापना कराकर मां की पूजा अर्चना प्रारंभ की। यहां पर पंचमी के दिन मां का पट खुल जाता है। वहीं महुआ के पातेपुर रोड, गांधी चौक, कुशहर चौक, छतवारा चौक, कन्हौली, हरपुर बेलवा, हरपुर ओस्ती चौक, मुजफ्फरपुर रोड सहित कई स्थानों पर भी मां की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। यहां पर भी कलश स्थापित कर पूजा अर्चना प्रारंभ कर दी गई।

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