लोगों की चाहत, हमारे गांव से होकर गुजरे झील तक की सड़क

झील के साथ ही गांव का भी होगा विकास सैलानियों के आने से रोजगार के भी मिलेंगे अवसर ------------

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 01:20 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 01:20 AM (IST)
लोगों की चाहत, हमारे गांव से होकर गुजरे झील तक की सड़क
लोगों की चाहत, हमारे गांव से होकर गुजरे झील तक की सड़क

ब्रजेश, जन्दाहा (वैशाली) :

आसपास के दर्जनों गांवों के लोग चाहते हैं कि उनकी बस्ती से झील तक पहुंचने के लिए सड़क बने। इससे उनके गांव का विकास होने के साथ ही काफी संख्या में सैलानी भी आएंगे। इससे ग्रामीणों को रोजगार का अवसर मिलेगा।

विदित हो कि झील के उत्तर में पातेपुर प्रखंड के कई गांव हैं, जबकि दक्षिण-पश्चिम और पूरब में जंदाहा प्रखंड के कई गांव हैं। इन गांवों तक पहुंचने की सड़क तो है पर झील तक जाने के लिए अभी तक कोई मार्ग नहीं बना है।

झील किनारे के गांव बिझरौली, लोमा, पीरापुर, दुलौर, डीह बुचौली, महिसौर, मुर्तुजापुर, महीपुरा, सोहरथी, एवं नाड़ी खुर्द गांव की आबादी वाले क्षेत्र तक कमोबेश सरकारी स्तर से सड़क बनी हुई है। इन गांवों से झील तक जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। अभी दुर्गम पगडंडी के सहारे ही लोग झील तक पहुंच रहे हैं। सड़क नहीं होने से झील का अवलोकन करने प्रशासनिक अधिकारी पहुंचते हैं तो उन्हें भी काफी परेशानी होती है। बावजूद इसके झील तक सड़क बनाने के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है।

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झील किनारे के विभिन्न गांवों से गुजरने वाली सड़क को झील तक पहुंचाने के लिए सरकारी स्तर से प्रयास करने की जरूरत है। सड़क बनने से सैलानी भी आसानी से पहुंचकर झील को निहारेंगे। अभी पगडंडी के सहारे लोग पहुंचते हैं। बरसात में कीचड़ होने से लोगों की आवाजाही में काफी मुश्किल हो रही है। झील के विकास के लिए सबसे पहले सड़क बनाने की जरूरत है।

साल्वी कुमारी, बिझरौली

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पक्षी विहार बनाने हेतु सिर्फ अधिसूचित झील भूमि ही नहीं बल्कि झील के क्षेत्रफल के अनुसार संपूर्ण बरैला क्षेत्र में प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा निश्चित हो। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए संपूर्ण झील क्षेत्र को संवारने की जरूरत है। झील के विकास के लिए सरकार की गई घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने की जरूरत है। आसपास के ग्रामीणों को भी आगे आना होगा

विनीता कुमारी, लोमा

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झील किनारे के कई गांवों के लोगों के अलावा महिसौर गांव के किसानों का व्यापक रूप से झील में कृषि योग्य भूमि है। गांव के मछुआरों को भी मत्स्य पालन का रोजगार मिलने की संभावना है। सरकार को योजना के तहत झील के विकास की ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे झील पर्यटकों के अलावा स्थानीय किसानों एवं बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक साबित हो।

नवीन कुमार, महिसौर

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लोमा एवं दुलौर गांव की सीमा से तथा डीह बुचौली गांव से झील के मात्र एक किलोमीटर पीछे तक पक्की सड़क बनी है। दोनों स्थानों से उक्त दोनों जर्जर सड़कों की मरम्मत कर मात्र एक किलोमीटर सरकारी स्तर से सड़क निर्माण किए जाने पर झील तक पहुंचना सुलभ हो जाएगा। वहीं, झील के समीप पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए व्यवस्था किए जाने पर काफी संख्या में पर्यटकों को पहुंचने की संभावना होगी। इससे लोगों को रोजगार मुहैया होगा।

मीना देवी, पूर्व मुखिया महिसौर

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लगभग 500 एकड़ की अधिसूचित झील को चिन्हित कर सूखने पर उड़ाही कर 20 फीट गहराई करने की जरूरत है। ऐसा करने से साल भर पानी रहेगा और पातेपुर एवं जंदाहा प्रखंड के गांवों में जलस्तर नीचे नहीं जाएगा। झील गहरी होने पर प्रवासी पक्षियों का शिकार भी नहीं हो पाएगा। झील किनारे सड़क एवं पर्यटक स्थल बना दिए जाने पर झील का विकास आसानी से संभव हो जाएगा।

संजीव कुमार, महिसौर

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