पोखर की जमीन पर निजी महाविद्यालय बना किया गया अतिक्रमण, न्यायालय की शरण में लोग
स्थानीय देसरी मार्ग स्थित करीब आठ दशक पुराना तेलिया पोखर अतिक्रमण के कारण अस्तित्व खोता जा रह है। कभी इस पोखर से आसपास की खेतों में सिचाई की जाती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे पोखर में पानी नहीं रहने एवं अतिक्रमण के कारण इसका नामोनिशान मिट रहा है।
संवाद सहयोगी, महुआ :
स्थानीय देसरी मार्ग स्थित करीब आठ दशक पुराना तेलिया पोखर अतिक्रमण के कारण अस्तित्व खोता जा रह है। कभी इस पोखर से आसपास की खेतों में सिचाई की जाती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे पोखर में पानी नहीं रहने एवं अतिक्रमण के कारण इसका नामोनिशान मिट रहा है। अतिक्रमण को लेकर गांव के लोगों ने कई बार आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की, लेकिन जब निराकरण नहीं हुआ तब लोगों को न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है।
स्थानीय गौसपुर चकमजाहिद पैक्स अध्यक्ष अशोक कुमार, पूर्व सरपंच सरवन राय, सुनील कुमार आदि ने बताया की तेलिया पोखर का रकबा 2 एकड़ 60 डिसमिल है। इस पोखर का अस्तित्व लगभग 8 दशक पुराना हैं। पोखर इलाके के लिए जलसंचय का एक बड़ा केंद्र था। आसपास के सैकड़ों एकड़ खेतों में सिचाई इस पोखर के पानी से होती थी। यहां गौसपुर चकमजाहिद, फुलवरिया, हसनपुर ओस्ती एवं रूसुलपुर मुबारक पंचायत के छठव्रतियों महिलाएं पूजा-अर्चना भी करती थी। मत्स्य विभाग पोखर की बंदोबस्ती भी मछली पालन के लिए करता रहा है। दर्जनों परिवार का पोखर जीविका का भी साधन था। लेकिन अतिक्रमण के कारण धीरे-धीरे पोखर का अस्तित्व ही खत्म हो गया है। इससे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी योजना जल संचय पर ग्रहण लग रहा है। पोखर का अस्तित्व मिटते जा रहा है। ग्रामीणों ने इसे बचाने की मांग पदाधिकारियों से की है। पोखर की जमीन पर ही खोल दिया निजी महाविद्यालय अतिक्रमणकारियों ने तेलिया पोखर की जमीन का अतिक्रमण तो कर ही लिया, इसके भूमि पर ही एक निजी महाविद्यालय भी बना दी गई। पोखर की भूमि ही कालेज के नाम पर कर दिया गया। इसकी जानकारी जब लोगों को मिली तो लोगों ने इसके खिलाफ पोखर बचाओ आंदोलन चालू कर दिया है। स्थानीय पदाधिकारियों से लेकर वरीय पदाधिकारियों तक आवेदन देकर कार्रवाई की मांग की गई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई तो स्थानीय लोगों ने न्यायालय का शरण लिया है। इसके लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पोखर का अस्तित्व बचाने की मांग की गई है।