वैशाली के 32 पंचायत के सबसे बड़े प्रखंड में चौक-चौराहे पर सजती है सब्जी मंडी

वैशाली जिले के 32 पंचायतों वाले सबसे बड़े प्रखंड पातेपुर में चौक-चौराहों पर सड़क किनारे बैठकर सब्जी व अन्य कृषि उत्पाद बेचने की किसानों की मजबूरी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 10:56 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 10:56 PM (IST)
वैशाली के 32 पंचायत के सबसे बड़े प्रखंड में चौक-चौराहे पर सजती है सब्जी मंडी
वैशाली के 32 पंचायत के सबसे बड़े प्रखंड में चौक-चौराहे पर सजती है सब्जी मंडी

मो. एहतेशाम पप्पू, पातेपुर :

वैशाली जिले के 32 पंचायतों वाले सबसे बड़े प्रखंड पातेपुर में चौक-चौराहों पर सड़क किनारे बैठकर सब्जी व अन्य कृषि उत्पाद बेचने की किसानों की मजबूरी है। कोई बड़ी सब्जी मंडी नहीं है। हां, यह जरूर है कि यहां के किसान अपने मेहनत की बदौलत सब्जियों का काफी अच्छा उत्पादन करते हैं। बड़ी सब्जी मंडी नहीं होने को लेकर यहां के किसान मुजफ्फरपुर एवं समस्तीपुर जाते हैं। वहीं बड़ी सब्जी मंडी नहीं होने के कारण किसान औने-पौने दाम में सब्जी व अन्य कृषि उत्पाद बेचने को मजबूर हैं। पातेपुर से सटे दूसरे जिलों की मंडी में भाव तो अच्छा मिलता है पर परिवहन खर्च में ही आमदनी बराबर हो जाती है। कृषि से होने वाले आमदनी पर ही आधारित हैं पातेपुर के किसान जिले का सबसे से बड़े प्रखंड पातेपुर के किसान कृषि पर ही आधारित हैं। यहां बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जाती है। प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायतों में सब्जी की खेती होती है। खेसराही, अगरैल, लेवढण, बहुआरा, मालपुर, गोविदपुर बेला पंचायत में सब्जी की खेती प्रमुखता से की जाती है। सीजन के हिसाब से यहां के किसान सभी प्रकार के सब्जी का उत्पादन बड़े पैमाने पर करते हैं।

मुजफ्फरपुर एवं समस्तीपुर सब्जी मंडी में जाते हैं किसान

32 पंचायतों वाले जिले के सबसे बड़े प्रखंड के किसानों का दर्द यह है कि बड़ी सब्जी मंडी नहीं होने के कारण यहां के किसानों को औने-पौने भाव में सब्जी बेचनी पड़ती है। यहां चौक-चौराहों पर सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठक सब्जी बेचने की किसानों की मजबूरी है। किसानों को सब्जी बेचने के लिए पातेपुर से सीमावर्ती जिलों मुजफ्फरपुर के सुजावलपुर एवं समस्तीपुर के ताजपुर व मोतीपुर सब्जी मंडी जाना पड़ता है। किसानों को तय करनी पड़ती है बीस किमी की दूरी

पातेपुर से मोतीपुर सब्जी मंडी की दूरी लगभग 20 किलोमीटर है तो सुजावलपुर की दूरी 15 किलोमीटर। इन दोनों मंडियों से पटना, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय, दरभंगा के अलावा पश्चिम बंगाल तक के व्यापारी सब्जी ले जाते हैं। इतनी दूरी तय कर सब्जी बेचने जाने वाले किसानों का दर्द यह है कि परिवहन में ही आमदनी बराबर हो जाता है। यहां अगर सब्जी मंडी होता तो आमदनी किसानों को ज्यादा होती। बगैर सुविधा के छोटी मंडियों में देनी पड़ती है चूंगी स्थानीय स्तर पर पातेपुर बाजार, तीसीऔता, भरथीपुर, चिकनौटा, मालपुर, बहुआरा, नौवाचक, डढुआ, आदि स्थानों पर सब्जी मंडी है। जहां सैकड़ों की संख्या में छोटे किसान सब्जी रोजाना बेचते हैं। यहां सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। बावजूद किसानों के स्थानीय स्तर पर चूंगी की वसूली की जाती है। इससे किसान परेशान हैं। कहते हैं इलाके के किसान पातेपुर प्रखंड क्षेत्र में सब्जी की पैदावार काफी अच्छी होती है। सभी प्रकार की अच्छी सब्जी उगाने के बाद भी पातेपुर में मंडी नहीं होने के कारण औने-पौने भाव में सब्जी बेचना पड़ रहा है। मंडी नहीं होने के कारण बाहर के व्यापारी यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं, जिस कारण किसानों को सब्जी का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।

गणेश कुमार, युवा किसान, खेसराही

अगर पातेपुर में सब्जी मंडी खुले तो किसानों के दिन बहुरेंगे। किसान ना के बराबर खर्च में सब्जी बेच सकेंगे। दूसरे जिले की मंडियों में सब्जी बेचने जाने में जहां पूरा एक दिन का समय लग जाता है, वहीं वाहन किराया भी अधिक चुकाना पड़ता है। जिससे किसानों को आर्थिक क्षति भी होती है।

राज कुमार सिंह, किसान, खेसराही

प्रखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किसान सब्जी की खेती प्रमुखता से कर रहे हैं। पातेपुर में सब्जी मंडी नहीं होने के कारण किसानों को सब्जी औने-पौने भाव में बेचना पड़ रहा है, जिस कारण किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर नहीं रही है। यहां सब्जी मंडी हो जाए तो मुनाफा अधिक होगा।

गणेश राय, युवा किसान, खोवाजपुर

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