सपना था ग्रेटर पटना का नगर निगम भी नहीं बन सका हाजीपुर
महात्मा गांधी सेतु निर्माण के बाद हाजीपुर को ग्रेटर पटना बनाने का वादा किया गया था। राजधानी से सटे करीब तीन लाख की आबादी वाले इस शहर के लोग तीन दशक से इसका सपना हीं देख रहा है। नगर परिषद से मिल रहीं सुविधाओं का आलम है कि बारिश के सड़ चुके बदबूदार पानी महामारी फैलाने को आतुर है।
जागरण संवाददाता, हाजीपुर : महात्मा गांधी सेतु निर्माण के बाद हाजीपुर को ग्रेटर पटना बनाने का वादा किया गया था। राजधानी से सटे करीब तीन लाख की आबादी वाले इस शहर के लोग तीन दशक से इसका सपना हीं देख रहा है। नगर परिषद से मिल रहीं सुविधाओं का आलम है कि बारिश के सड़ चुके बदबूदार पानी महामारी फैलाने को आतुर है।
अब तक नगर निगम का दर्जा नहीं यहां के लोगों का सबसे बड़ा दर्द है। यह दर्द उस समय और बढ़ गया जब पिछले साल 26 दिसंबर को नीतीश कैबिनेट सूबे के अन्य नगर निकायों की तरह हाजीपुर नगर परिषद को अपग्रेड नहीं किया। पटना की तरह सुविधा मिलने की आस लगाए लोगों को काफी निराशा हुई। शहर की तरक्की के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा। इस शहर का यह हाल तब है जब महात्मा गांधी सेतु बनने के बाद करीब तीन दशक पूर्व पटना से सटे हाजीपुर शहर को ग्रेटर पटना में शामिल करने की घोषणा करते हुए मिनी राजधानी बनाने की बात कही गई थी। नगर परिषद के विस्तार के बावजूद सुविधाएं यथावत
बीते वर्ष 26 दिसंबर को बिहार कैबिनेट ने हाजीपुर नगर परिषद के क्षेत्र विस्तार की मंजूरी दी थी। विस्तारित नगर परिषद क्षेत्र में अब दिग्घीकलां पूर्वी, दिग्घीकलां पश्चिमी और कर्णपुरा पंचायतों को शामिल कर विधिवत अधिसूचना भी सरकार के स्तर पर जारी कर दी गई है। विस्तार के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय का गृह पंचायत कर्णपुरा भी अब नगर परिषद का अंग है। नगर परिषद का विस्तार होने के बाद भी हाल यह है कि सुविधाओं का कोई विस्तार नहीं हुआ।
विस्तारित क्षेत्र में लोगों को देना होगा टैक्स
परिषद क्षेत्र का विस्तार होने के बाद लोगों की चिता बढ़ गई है कि अब उन्हें टैक्स देना पड़ेगा। वहीं सुविधाओं के नाम कुछ भी नहीं है। पूर्व विधान पार्षद एवं केंद्रीय सहकारी बैंक के वर्तमान अध्यक्ष बिशुनदेव राय कहते हैं कि नियमानुसार जिन पंचायतों के गांवों को शामिल किया जाना है, 50 फीसद ही कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए पर इस इलाके में 80 फीसद तक कृषि भूमि है। इससे किसानों को नुकसान होगा। वहीं सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। नगर निगम बनने के सभी मानकों को पूरा करता है हाजीपुर
हाजीपुर नगर परिषद उन सभी मानकों को पूरा करता है, जो नगर निगम बनने के लिए आवश्यक है। हाजीपुर से छोटे शहर को काफी पहले ही नगर निगम का दर्जा दे दिया गया। वहीं 26 दिसंबर को राज्य कैबिनेट की बैठक में भी जिन कई शहरों को नगर निगम का दर्जा प्रदान किया गया, उन शहरों की तुलना में हाजीपुर काफी विकसित है। हाजीपुर में कई राष्ट्रीय स्तर के सरकारी एवं गैर सरकारी इकाई
हाजीपुर में पूर्व मध्य रेल जोनल कार्यालय के अलावा उत्तर बिहार का प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र है। औद्योगिक क्षेत्र में कई बड़ी इकाइयों के अलावा ही राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान नाइपर एवं सिपेट भी स्थापित है। इसके अलावा हाजीपुर-पटना मुख्य मार्ग पर होटल प्रबंधन संस्थान है। पुलिस लाइन में बिहार सुधारात्मक प्रशिक्षण संस्थान बीका है। इसे लेकर हाल के दशकों में शहर का काफी तेजी से विस्तार एवं विकास हुआ है। प्रमुख हस्तियों के बावजूद नगर निगम का नहीं मिला दर्जा
बीते दो दशक की ही बात करें तो जिले में एक से बढ़कर एक राजनीतिक दिग्गज हुए। नगरपालिका से लेकर नगर परिषद तक के सफर में सबसे ज्यादा अगर किसी एक परिवार की हुकूमत रही तो वह कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद के परिवार का है। खुद निषाद एवं उनकी पुत्रवधू कई टर्म अध्यक्ष रहे। कैप्टन निषाद केंद्र एवं राज्य में मंत्री रहे। निषाद के पुत्र लगातार दो टर्म से भाजपा के सांसद हैं। इसके अलावा करीब डेढ़ दशक तक सूबे के मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद एवं राबड़ी देवी इसी जिले के राघोपुर से विधायक रहे। लालू की हुकूमत में नगर विकास एवं आवास विभाग भी हाजीपुर शहर को ही मिला। वृश्णि पटेल मंत्री रहे। अभी वर्तमान में दो दशक से हाजीपुर में भाजपा के ही विधायक जीत रहे हैं। हाजीपुर से लगातार चार टर्म विधायक रहे नित्यानंद राय केंद्र में गृह राज्यमंत्री हैं। इस सबके बावजूद हाजीपुर को आज तक नगर निगम का दर्जा नहीं मिल सका।
बिहार का सबसे पुराने नगर निकायों में शुमार है हाजीपुर
बिहार के सबसे पुराने नगर निकायों में हाजीपुर नगर निकाय शुमार है। हाजीपुर नगर निकाय को सौ वर्ष से भी अधिक हो चुके हैं। नगरपालिका से नगर परिषद बनने में करीब सौ वर्ष लग गए। अभी दो दशक पूर्व हाजीपुर नगरपालिका को सरकार ने नगर परिषद का दर्जा प्रदान किया था। अब दो दशक के बाद भी हाजीपुर नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा नहीं मिलने को लेकर लोग यह सवाल नगर आवास एवं विकास विभाग एवं राज्य सरकार के पूछ रहे हैं कि अब कितने वर्ष लगेंगे ? सौ वर्ष पुरानी व्यवस्था पर ही मिल रही सुविधाएं
हाजीपुर नगर परिषद के अस्तित्व में आने के दो दशक बाद भी शहर का हाल यह है कि सौ वर्ष पुरानी व्यवस्था पर ही सुविधाएं टिकी हुई है। शहर में गंदगी और जल-जमाव की समस्या से लोग दशकों से परेशान हैं। मुख्य सड़कों की तो साफ-सफाई भी हो जाती है पर मोहल्लों का हाल काफी बुरा है। हां, यह जरूर है कि नगर परिषद शिक्षा, स्वास्थ्य, सफाई समेत सभी सुविधाओं के लिए टैक्स लेती है।