श्रावण मास में बेलपत्र चढाने से प्रसन्न होते हैं भोले भंडारी

-चंदन से श्रीराम लिखित बेल पत्र चढ़ाने से बाबा भोलेनाथ होते है अति प्रसन्न -सोमवार को श्रद्धाभाव से भेलेनाथ की पूजा से सुखमय होता है दांपत्य जीवन जागरण संवाददाता हाजीपुर

By JagranEdited By: Publish:Tue, 14 Jul 2020 01:58 AM (IST) Updated:Tue, 14 Jul 2020 06:13 AM (IST)
श्रावण मास में बेलपत्र चढाने से प्रसन्न होते हैं भोले भंडारी
श्रावण मास में बेलपत्र चढाने से प्रसन्न होते हैं भोले भंडारी

वैशाली । श्रावण मास में बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं। पुराणों में वर्णित है विष्णु अवतार श्रीराम से भगवान शिव अत्यधिक प्रेम करते हैं। यही कारण है कि चंदन से श्रीराम लिखित बेल पत्र चढ़ाने से वे अति प्रसन्न होते हैं। बेलपत्र को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। श्रीराम और भगवान शिव एक-दूसरे को अपना गुरू मानते हैं। इसलिए देवी लक्ष्मी के प्रतीक बेलपत्र पर विष्णु अवतार राम का नाम लिखा होने से शिव प्रसन्न होते हैं।

कई पंडितों ने बेलपत्र के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि धर्मग्रंथों में वर्णित है कि एक बार भगवान शिव ने पार्वती से कहा कि सभी देवताओं में मेरे सबसे प्रिय राम हैं। मेरी पूजा करते समय राम का नाम लेने वालों पर मेरी कृपा बनी रहती है। भगवान राम के इस रूप में अवतार लेकर विष्णु ने लंका विजय से पूर्व शिव की आराधना की और बेलपत्र पर राम लिखकर चढ़ाया। बेलपत्र के तीनों पत्र ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक भी माना जाता है।

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शिव की पूजा से सुखी होता

है दांपत्य जीवन

चंद्रमा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। सोम अर्थात चंद्रमा का दिन सोमवार होने से सोमवारी पूजा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। सावन का हर दिन पावन है। इस मास का हर दिन व्रत का दिन है, लेकिन सावन में सोमवारी का सर्वाधिक महत्व है। श्रावण मास और श्रावण नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा है। चंद्रमा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए भगवान उन्हें अपने मस्तक पर धारण किए हुए हैं। चंद्रमा के प्रति विशेष लगाव के कारण ही शिव को शशिधर, चंद्रशेखर, चंद्रमौलेश्वर आदि नामों से भी जाने जाते है। चंद्रमा औषधियों के स्वामी हैं। वे अपनी शीतलता एवं औषधीय प्रभाव से भगवान शिव के गले में अवस्थित विष के ताप से उत्पन्न प्रभाव को शांत करते है। सोमवार सोम अर्थात चंद्रमा का ही दिन है। इससे भगवान शिव और पार्वती दोनों अत्यंत प्रसन्न होकर श्रद्धालुओं पर विशेष कृपा करते है।

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पार्थिक पूजन का है विशेष महत्व

श्रावण मास में मिट्टी से बने पार्थिक पूजन का विशेष महत्व होता है। पार्थिक पूजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए हाजीपुर संस्कृत महाविद्यालय के व्याख्याता आचार्य अखिलेश कुमार ओझा बताते हैं, सावन महीने के सोमवारी के अलावा किसी भी दिन भी मिट्टी से बने पार्थिक पूजन का विशेष महत्व होता है। उन्होंने कहा कि इस पूजन से घर में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसलिए सावन महीने में मिट्टी से बनी पार्थिक पूजन जरूर करना चाहिए।

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शिव हैं परम कल्याणकारी

भोलेनाथ शिव परम कल्याणकारी हैं। भगवान शिव के माथे पर गंगा विराजमान हैं। भगवान शिव विष पीकर भी अपने कंठ से अमृत प्रदान करते है। शिव के अनेक नामों में से एक नाम त्रम्बयक भी है, जिसका अर्थ है तीनों नेत्रों से संपन्न।

ओझा बताते हैं, शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव चंद्रमा के सामान विश्व को आनंद देने वाले, सूर्य के सामान अज्ञानी रूपी अंधकार नष्ट करने वाले है। इस प्रकार चंद्रमा, सूर्य और अग्नि रूपी तीन नेत्र हैं।

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शिव के लिए तीन का

है विशेष महत्व

भगवान शिव के ललाट पर तीन रेखाएं हैं। उनके त्रिशूल में तीन शूल है। उन्हें तीन पत्तों का बेलपत्र चढ़ाया जाता है। इसलिए भगवान शिव के लिए तीन का विशेष महत्व है।

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