आनंद मार्ग के तीन दिवसीय ऑनलाइन सेमिनार का हुआ आयोजन

वैशाली। आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में आयोजित द्वितीय फेज के तीन दिवसीय ऑनलाइन सेमिना

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 07:29 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 07:29 PM (IST)
आनंद मार्ग के तीन दिवसीय ऑनलाइन सेमिनार का हुआ आयोजन
आनंद मार्ग के तीन दिवसीय ऑनलाइन सेमिनार का हुआ आयोजन

वैशाली। आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में आयोजित द्वितीय फेज के तीन दिवसीय ऑनलाइन सेमिनार के प्रथम दिन वैशाली जिला एवं उसके आसपास के दो हजार से भी ज्यादा आनंद मार्गियों ने घर बैठे सेमिनार का लाभ उठाया। आनंद मार्ग के वरिष्ठ आचार्य स्वरूपानंद अवधूत ने द्वंदात्मक, भौतिकवाद एवं गणतंत्र विषय पर ऑनलाइन क्लास में बोलते हुए कहा कि अब तक मुख्य रूप से चार प्रकार के सामाजिक और नैतिक दर्शन हमारे बीच आए है। पहला है पूंजीवाद जो स्वार्थ आधारित दर्शन है। दूसरा है साम्यवाद या द्वंदात्मक भौतिकवाद जो बुद्धि या तर्क से परिचालित दर्शन है। तीसरा संप्रदायवाद जो भाव जड़ता पर आधारित दर्शन है और चौथा है प्रमोद या प्रगतिशील समाजवाद जो बोधी से परिचालित दर्शन है।

आचार्य ने बताया कि द्वंदात्मक भौतिकवाद द्वारा समाज कल्याण संभव नहीं है क्योंकि यह किसी युग में मानव समाज के लिए भले उपयोगी रहा हो परंतु परवर्ती युग में मानव समाज के लिए यह शोषण और ध्वंस का नृशंस शस्त्र बन गया। द्वंदात्मक भौतिक वाद का अंतिम संश्लेषण साम्यवाद की संप्राप्ति के साथ ही समाप्त हो जाती है अर्थात ये वर्ग विहीन और राज्य विहीन समाज की वकालत करता है। जो कभी भी संभव नहीं है क्योंकि अंतिम संश्लेषण नाम की कोई चीज नहीं है। उसी तरह गणतंत्र द्वारा भी समाज का प्रकृत कल्याण संभव नहीं है क्योंकि गणतंत्र की बहुत सारी त्रुटियां है जैसे जनसाधारण क्या सत्य हैं, क्या मिथ्या, क्या करना होगा, क्या नहीं करना होगा, विचार करने लायक, शिक्षा या चेतना संपन्न नहीं है। निर्दिष्ट उम्र में पदार्पण करने से ही बहुत बोध शक्ति एवं विचार शक्ति उत्पन्न नहीं हो जाती। उम्र, ज्ञान और शिक्षा का मापदंड नहीं है। किसी किसी स्थल पर शिक्षित मनुष्य भी वोट दान अधिकार को अन्याय भाव से व्यवहार करते हैं।

chat bot
आपका साथी