अक्षय नवमी पर आंवला वृक्षों की हुई पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता हाजीपुर जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी अक्षय नवमी पर्व हषो

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 11:26 PM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 11:26 PM (IST)
अक्षय नवमी पर आंवला वृक्षों की हुई पूजा-अर्चना
अक्षय नवमी पर आंवला वृक्षों की हुई पूजा-अर्चना

जागरण संवाददाता, हाजीपुर :

जिले में शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में भी अक्षय नवमी पर्व हर्षोल्लास मनाई गई। श्रद्धालुओं ने आंवला वृक्ष की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि के साथ चीर स्वास्थ्य की कामना की। श्रद्धालुओं ने आंवला पेड़ के नीचे भोजन बनाकर ग्रहण किया और वितरण किया। आचार्यों ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को मनाई जाने वाली आंवला नवमी एक स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस दिन पूजा, पाठ, दान, तप, जप का पुण्य अक्षय होकर मिलते है। इस दिन किए गए दान-धर्म का कभी क्षय नही होता है। इस अवसर पर शहर के गांधी आश्रम मोहल्ले में पूर्व जिला नाजिर नारायण प्रसाद के आवासीय परिसर में विधि-विधान के साथ आंवला पूजन किया गया। इस मौके पर अनेक लोगों को आंवला वृक्ष के नीचे भोजन कराए गए। दूसरी ओर यहां नून गोला मोहल्ले में नीलम चौधरी, स्वयंविरा, रेखा खत्री, विष्णुप्रिया, अर्चना आदि ने अक्षय नवमी पर पूजा-अर्चना की।

आचार्य प्रेम पाठक ने कहा कि आज के दिन भगवान विष्णु का वास आंवला वृक्ष में रहता है। श्रद्धालु दिन भर पूजा-अर्चना करने के बाद आंवला वृक्ष के नीचे भोजन भी करते है। इस वृक्ष के नीचे भोजन करने से हर तरह के पाप से मुक्ति के साथ ही कई तरह की बीमारियों से मुक्ति मिलती है। पद्म पुराण में जिक्र है कि आंवला वृक्ष को साक्षात भगवान विष्णु स्वरूप ही माना जाता है। इसके स्मरण मात्र से ही गोदान का पुण्य प्राप्त होता है। अक्षय नवमी को आंवला पेड़ के नीचे भगवान विष्णु के दामोदर रूप की पूजा-अर्चना होती है। पुत्र प्राप्ति एवं सुख-शांति के लिए पूजा-अर्चना, दान, गंगा स्नान से अक्षय फल मिलता है। एक मान्यता यह भी है कि इसी तिथि को महर्षि च्यवन ऋषि ने आंवले का सेवन किया था, जिससे उन्हें फिर से यौवन प्राप्त हुआ था। इससे श्रद्धालु चीर स्वास्थ्य के लिए भी इस व्रत को करते हैं।

राजापाकर : अक्षय नवमी का त्योहार धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर लक्ष्मी-विष्णु की विधिवत पूजा की और आंवला पेड़ के जड़ पर पीला वस्त्र बांधकर अक्षय फल की कामना की। आंवला पेड़ के नीचे खिचड़ी बना लोगों ने ग्रहण किया। मान्यता है कि इस भोजन के खाने से इंसान का क्षय नहीं होता है और वह हमेशा स्वस्थ रहता है।

महुआ : प्रखंड के विभिन्न भागों में अक्षय नवमी का पर्व मनाया गया। इस दौरान महिलाओं ने आंवला वृक्ष के नीचे खिचड़ी बना कर प्रसाद ग्रहण किया। अक्षय नवमी पर्व के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे खिचड़ी बना कर प्रसाद ग्रहण करने का महत्व है। विभिन्न भागों में आंवला के पेड़ के नीचे साफ-सफाई कर महिलाओं ने मिट्टी के चूल्हे पर खिचड़ी बनायी तथा पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण किया और लोगों में वितरण किया।

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