ऐतिहासिक वैशाली के सभी पुरावशेष पानी में डूबे, बौद्ध भिक्षुओं को नाव तक नसीब नहीं

वैशाली ऐतिहासिक वैशाली के पुरावशेष पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं। यहां का कोई

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Sep 2021 12:06 AM (IST) Updated:Thu, 02 Sep 2021 12:06 AM (IST)
ऐतिहासिक वैशाली के सभी पुरावशेष पानी में डूबे, बौद्ध भिक्षुओं को नाव तक नसीब नहीं
ऐतिहासिक वैशाली के सभी पुरावशेष पानी में डूबे, बौद्ध भिक्षुओं को नाव तक नसीब नहीं

वैशाली :

ऐतिहासिक वैशाली के पुरावशेष पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं। यहां का कोई भी ऐसा दर्शनीय एवं पुरातात्विक स्थल नहीं है जो बाढ़ की पानी में डूबा हुआ नहीं है। वैसे तो पूरा वैशाली प्रखंड जलमग्न हो चुका है। यहां पहुंचने के सारे रास्तों पर कई-कई फीट पानी बह रहा है। इसी में ऐतिहासिक स्थलों की सुरक्षा भी भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। वैशाली के ऐतिहासिक स्थलों पर बाढ़ और भारी बारिश का पानी इस बार नया नहीं है। पिछले साल भी कुछ इसी तरह के हालात हुए थे। गत वर्ष भी यहां की सभी ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल पानी में डूब गए थे। जानकार बताते हैं कि यह हालात यहां दो जिलों के बीच की समस्या बन कर निजात को तरस रहा है। एक ओर जहां वैशाली गढ़ से लेकर अभिषेक पुष्करणी, भगवान बुद्ध का अस्थि अवशेष स्थल रैलिक स्तूप, विश्व शांति स्तूप आदि क्षेत्र वैशाली जिले में है, जबकि ऐतिहासिक अशोक स्तंभ, भगवान महावीर दर्शन स्थल, प्राकृत जैन शोध संस्थान आदि स्थल मुजफ्फरपुर जिले में आता है।

जानकारों के अनुसार कलिग विजय के बाद जब मगध सम्राट अशोक ने बौद्ध दर्शन से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म अपनाया और शांति की खोज में वैशाली के कोल्हुआ में एक शांति स्तूप का निर्माण कराया था। इसके ऊपर एक सिंह की मूर्ति है और इसके बगल में एक स्तूप है साथ में मर्कट हद भी है। इन स्थलों को पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्थल घोषित किया है। लेकिन दुर्भाग्य है कि प्रशासनिक उपाय नहीं किए जाने के कारण यह विश्वस्तरीय स्थल आज बाढ़ की पानी में डूबा पड़ा है। इसी तरह वैशाली के हरपुर बसंत स्थित रेलिक स्तूप जहां से भगवान बुद्ध का पवित्र अस्थि अवशेष प्राप्त हुआ था। यह रैलिक स्तूप महीनों से पानी में डूबा पड़ा है लेकिन जल निकासी का काई उपाय नहीं किया जा रहा। यहां आसपास बने अनेक बौद्ध और जैन मंदिरों के भिक्षुओं और संतो को पानी के बीच रहना पड़ रहा है। वह केले के थम के सहारे आ-जा रहे हैं।

मालूम हो कि वैशाली के 72 एकड़ भूमि में भगवान बुद्ध के अस्थि कलश को रखने के लिए करीब छह करोड़ रुपये की राशि से भव्य बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण कार्य हो रहा है। विडंबना है कि यह संपूर्ण क्षेत्र भी जलमग्न हो गया है। लोग पूछ रहे हैं कि जब कई वर्षों से यह ऐतिहासिक स्थल डूब रहा है तो आखिर समय रहते यहां जल निकासी की व्यवस्था क्यों नहीं की गई। जानकारों का कहना है कि रेलिक स्तूप से जल निकासी का स्थायी समाधान नहीं हो जाता है तब तक वैशाली हमेशा डूबता रहेगा। ऐतिहासिक वैशाली में मु•ाफ्फरपुर जिले के मनिकपुर चंवर से होकर पानी पहुंचता है। इससे वैशाली का संपूर्ण पश्चिमी क्षेत्र बाढ़ की विभीषिका झेलने को मजबूर होता है। इस समस्या का समाधान तब तक संभव नहीं है, जब तक वैशाली एवं मु•ाफ्फरपुर वरीय पदाधिकारियों की संयुक्त बैठक कर स्थाई समाधान का रास्ता नहीं खोजा जाता है।

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