चलो गांव की ओर :: बारिश में गेडा नदी का दंश झेलती है उधमपुर पंचायत

जीवछपुर डोडरा व पड़ियाही पंचायत से 2000 में उधमपुर पंचायत बनी। लोगों का कहना है कि आजादी से पहले इस गांव को लोग विश्रामपुर के नाम से जानते थे।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 31 Mar 2021 11:27 PM (IST) Updated:Wed, 31 Mar 2021 11:27 PM (IST)
चलो गांव की ओर ::  बारिश में गेडा नदी का दंश झेलती है उधमपुर पंचायत
चलो गांव की ओर :: बारिश में गेडा नदी का दंश झेलती है उधमपुर पंचायत

सुपौल। जीवछपुर, डोडरा व पड़ियाही पंचायत से 2000 में उधमपुर पंचायत बनी। लोगों का कहना है कि आजादी से पहले इस गांव को लोग विश्रामपुर के नाम से जानते थे। इसका कारण बताते हैं कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां विश्राम किया था।

ग्रामीणों ने बताया कि इस इलाके में काफी घने जंगल थे जिसमें काफी संख्या में उद रहते थे जिस कारण उधमपुर नाम पड़ा। इस पंचायत के गावों में पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क आदि मूलभूत समस्याएं हैं। पंचायत के मजदूर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरे प्रदेश में काम करने चले जाते हैं। पंचायत के काला गोविदपुर, भागवतपुर, महद्दीपुर, उधमपुर गांव आबादी की ²ष्टि से काफी सघन हैं। यह पंचायत तीन थाना में विभक्त है। मुख्यालय थाना में उधमपुर, भागवतपुर व महद्दीपुर गांव पड़ता है वहीं काला गोविदपुर गांव का कुछ हिस्सा भीमपुर थाना में। बरसात के दिनों में इस पंचायत के कई गावों की स्थिति नारकीय हो जाती है। मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट जाने की वजह से लोगों को स्वास्थ्य सुविधा तक समय पर नहीं मिल पाती। अमूमन हर वर्ष बरसात के बाद इस पंचायत के लोगों को मलेरिया, डायरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से जूझना पड़ता है। नदी में पुल नहीं रहने के कारण यह पंचायत तीन भाग में विभक्त है । इस पंचायत में 15 वार्ड हैं । गेंडा नदी प्रत्येक वर्ष हजारों एकड़ जमीन को बर्बाद करती है। किसान धान-मक्का की खेती करते हैं। अधिकांश लोग मजदूरी से जीविकोपार्जन करते है। लोग अपनी ये पीड़ा गांव में आयोजित चौपाल में व्यक्त करते नजर आए। लोगों का कहना था कि मुखिया के द्वारा पंचायत में हर संभव प्रयास किया गया लेकिन अभी भी विकास की दरकार है। लोगों की लंबी लड़ाई के बाद गेंडा नदी पर 2019 पुल निर्माण प्रारंभ हुआ और एक वर्ष में पूर्ण हो गया। पुल बन जाने से गांव का एसएच 91 से जुड़ाव हो गया है। पंचायत में पंचायत भवन, पंचायत सरकार भवन, उपस्वास्थ्य केंद्र, विद्यालय में भवन, नहर में साइफन की समस्या बनी हुई है। पंचायत में विद्यालय को भवन नहीं है एक प्राथमिक विद्यालय का संचालन सामुदायिक भवन में होता है तो दूसरा झोपड़ीनुमा भवन में संचालित है।

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कहते हैं ग्रामीण

पंचायत का अच्छा विकास हुआ है लेकिन किसानों को पड़ियाही माइनर का साइफन क्षतिग्रस्त रहने के कारण सिचाई में परेशानी हो रही है।

शिवकुमार ऋषिदेव -------------- मुखिया ने धरातल पर बहुत सारे काम किए लेकिन बड़ी समस्याएं अभी भी हैं।

दीनानाथ यादव पंचायत में पोस्ट ऑफिस नहीं रहने के कारण लोगों को पड़ियाही, जीवछपुर या प्रतापगंज जाना पड़ता है। यहां पोस्ट ऑफिस की जरूरत है।

बीरेंद्र झा

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बेरोजगारी और पलायन इस पंचायत की बड़ी समस्या है। लोग रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों को भटकते रहते हैं। इसे दूर किए जाने की आवश्यकता है।

मंतोष कुमार साह --------------------

मुखिया के द्वारा विकास के कार्य किए गए हैं।, गेडा नदी पर बांध की आवश्यकता है। विद्यालय में भवन, आंगनबाड़ी केंद्र को भवन नही है इन सभी पर ध्यान देने जरूरत है।

मुनेश्वर कामत

---------------------- मुखिया का दावा

पंचायत को विकास पथ पर लाने के लिए हर संभव प्रयास करता रहा हूं। जनता के विश्वास को टूटने नहीं दिया । पंचायत में मुख्यमंत्री गली नली योजना, मनरेगा आदि का कार्य पारदर्शिता के साथ किया। हर वार्ड को पक्की सड़क से जोड़ने का प्रयास किया हूं। पंचायत कार्यालय का सुंदरीकरण, धार्मिक स्थल पर चबूतरा, स्कूल में सोख्ता निर्माण कार्य किया गया। मजदूरों को जॉब कार्ड बना कर उन्हें रोजगार दिया गया।

श्यामदेव मंडल, मुखिया

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