गांधी के विचारों में सनातन जीवन मूल्यों की झलक

महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर स्थानीय ग्राम्यशील परिसर में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी का सत्य और अहिसा का विचार भारतीय सनातन जीवन मूल्यों से जुड़ा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 30 Jan 2021 06:34 PM (IST) Updated:Sat, 30 Jan 2021 06:34 PM (IST)
गांधी के विचारों में सनातन जीवन मूल्यों की झलक
गांधी के विचारों में सनातन जीवन मूल्यों की झलक

सुपौल। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर स्थानीय ग्राम्यशील परिसर में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि महात्मा गांधी का सत्य और अहिसा का विचार भारतीय सनातन जीवन मूल्यों से जुड़ा है। गांधी ने इसे सूक्ष्मता से समझने, स्वीकारने और जीने में स्वयं को अर्पित किया। इस जीवन मूल्य को स्थापित करने का मार्ग गांधी ने ग्राम स्वराज में बताया है।

कार्यक्रम के दौरान गांधी की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। ग्राम्यशील सदस्यों ने कहा कि संस्था की स्थापना महात्मा गांधी की 125वीं जयंती के अवसर पर कोसी क्षेत्र के कई विद्वतजनों, समाजसेवियों और श्रमजीवियों के सहयोग से 26 वर्ष पूर्व की गई थी। अबतक के कई उतार-चढ़ाव के बावजूद संस्था अपने भाव विचार को अक्षुण्ण रखने में सफल रही है। इसके लिए वे सभी सहयोगियों के प्रति कृतज्ञता का भाव अर्पित करते हैं। अब ग्राम्यशील अपने विगत अनुभव के आधार पर आगामी पीढ़ी के सुखमय जीवन को ध्यान में रखते हुए सेवा कार्य के मुख्य प्रयोजन व्यक्ति, परिवार, समाज और प्रकृति के साथ परस्परता व पूरकता की नैतिक जिम्मेदारी की ओर अग्रसर है। इसलिए संस्था अपने 27वें वर्ष में सभी योजनाओं का केंद्रबिदु संबंध, व्यवस्था और सहअस्तित्व को स्वीकार करते हुए सार्वभौम मानवीय मूल्य शिक्षा, स्वास्थ्य संयम और परिवार मूलक ग्राम स्वराज व्यवस्था को साकार करने का संकल्प लिया है। वक्ताओं ने कहा कि आज सभी अपराधों, संघर्षों और युद्धों के समाधान के लिए मानवीय स्वत्व, स्वतंत्रता और स्वराज को समग्रता में जानने, स्वीकारने और जीने की आवश्यकता है। इसके लिए परिवार और शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा संस्कार की प्राथमिक आवश्यकता है। संयोगवश भारत में स्वतंत्रता के बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से यह सकारात्मक संभावना बनी है। यदि अभिभावक, शिक्षक और विद्यार्थी एक साथ मिलकर समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी पूर्वक इसे स्वीकारेंगे और राष्ट्र नवनिर्माण में स्वयं को लगाएंगे तो आगामी पीढ़ी का सुखमय जीवन सुनिश्चित होगा तथा संस्कारित, स्वस्थ, समरस और समर्थ भारत का निर्माण होगा। बैठक की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राध्यापक प्रो कृपानंद झा ने की। बैठक में राजेश्वर मंडल, कृष्णदेव कामत, धीरज राम श्रीराम चौधरी, नीलम मुखिया, माला देवी, मुकुंद कुमार, चंदेश्वर शाह, जगदीश मंडल, चंद्रशेखर, पूनम, यशश्री, दिव्यम आदि ने अपने विचार प्रकट किए।

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