ध्वस्त रेल पुल का आज भी बचा है अवशेष
कोसी नदी पर बना रेल महासेतु 1934 के भूकंप में ध्वस्त हो गया था। इसके पहले उसी महासेतु के
1934 के भूकंप में ध्वस्त हुए कोसी रेल महासेतु का कुछ अवशेष अब भी मझारी गांव के पास पड़ा है। वर्तमान में छातापुर के ठुठी गांव में रह रहे 90 वर्षीय दशु लाल मेहता ने बताया कि पहले उनका घर सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के बलथरबा था। कोसी नदी के वर्ष 1934 में भूकंप आया तो कोसी नदी पर बना महासेतु ध्वस्त हो गया और ट्रेन का परिचालन अवरुद्ध हो गया। बाद में कोसी नदी के कटाव में उनका घर बर्बाद हो गया तो ठुठी गांव में आ बसे। वह आसनपुर-कुपहा अपने बेटी के घर आते जाते रहे तो कोशी का हाल देखा करते थे। उन्होंने खुशी का इजहार करते कहा 13 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि आज के दिन कोसी नदी पर बने पुल से एक बार फिर स्पेशल ट्रेन का आना जाना हुआ है। दशु मेहता व आसनपुर कुपहा निवासी सरोज कुमार मेहता ने गुरुवार के दिन बताया कि नए रेल महासेतु निर्माण के समय पुराने रेल महासेतु को देखने काफी संख्या में लोग आया करते थे। रेलवे के कई अधिकारी और अभियंता मझारी गांव पहुंचकर धरोहर के रूप में बचे पुराने रेल महासेतु के कुछ हिस्से को देखा करते हैं। लोगों ने उसे सहेज कर रखा है ताकि वर्ष 1934 का प्रलयंकारी भूकंप याद रहे।