बेपटरी न हो समाज इसीलिए लगा रहे आवाज
सुपौल। बेपटरी नहीं हो समाज इसके लिए सुपौल जिले के सरायगढ़-भपटियाही के पिपराखुर्द निवासी
सुपौल। बेपटरी नहीं हो समाज इसके लिए सुपौल जिले के सरायगढ़-भपटियाही के पिपराखुर्द निवासी देव सुंदर शर्मा 65 वर्ष की उम्र में भी आवाज लगा रहे हैं। वे 2012 में रेलवे से सेवानिवृत्त हुए। नौकरी के समय से ही उनके मन में समाज को आगे बढ़ाने की ललक थी। जैसे ही सेवानिवृत्त हुए कि गांव आकर सबसे पहले शिक्षा दान देने की शुरुआत की। गांव में गरीब तथा महादलित वर्ग के छात्र-छात्राओं की खोज करना तथा उसको शिक्षा से जोड़ना उनका मुख्य लक्ष्य है। पिछले छह वर्ष उन्होंने कई निस्सहाय छात्र-छात्राओं को मुफ्त शिक्षा देकर स्कूल से जोड़ने का काम किया है। जैसे ही सरकार ने बिहार में शराबबंदी की घोषणा की तो वे इस अभियान में जुड़ कर लोगों में जागरूकता फैलाने का काम करने लगे। गांव के लोगों का कहना है कि उनके प्रयास से सैकड़ों लोग शराब की लत छोड़ सके हैं। सुबह से शाम तक लोगों के लिए जीने वाले देव सुंदर शर्मा अभी भी शिक्षा के साथ-साथ शराबबंदी के लिए सक्रिय योगदान दे रहे हैं। इसी बीच सरकार ने दहेज प्रथा तथा बाल विवाह जैसी कुरीति को खत्म करने के लिए अभियान शुरू की तो वे इसमें कूद पड़े। इन कार्यों में लगे रहने के कारण उनकी दिनचर्या बिल्कुल ही अलग हो चुकी है। सुबह उठकर घर-घर जाना और लोगों को दहेज प्रथा तथा बाल विवाह से होने वाले नुकसान को बताना प्रतिदिन का काम है। दोपहर तक वापस घर आना और कम से कम एक सौ छात्र-छात्राओं को तीन से चार घंटे तक शिक्षा दान देना उनकी आदत में शुमार हो चला है। छात्र-छात्राओं को छुट्टी देने के बाद दोबारा टोले में जाना तथा समाज को आगे बढ़ाने के लिए लोगों के बीच बातचीत करना उनके जीने के तरीके में शामिल हो चुका है। वे बताते हैं कि उन्हें सामाजिक सरोकार से काफी लगाव हो चुका है। समाज को आगे बढ़ाने के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले देव सुंदर शर्मा की चर्चा गांव और प्रखंड के अलावा दूसरे जगहों पर भी होने लगी है।