देर रात तक चलता रहा भजन-कीर्तन
सुपौल। भाद्र कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर मंगलवार को नंद-यशोदा के लाला कन्हैया का जन्मोत्सव श्रद्ध
सुपौल। भाद्र कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर मंगलवार को नंद-यशोदा के लाला कन्हैया का जन्मोत्सव श्रद्धा से मना। जन्माष्टमी पर्व के पहले दिन भक्तों ने प्रभु का प्राकट्य उत्सव मनाया। घर-मंदिरों में भजन-कीर्तन व नृत्य के जरिए कान्हा की लीलाओं का बखान हुआ। स्वर्ण, रत्न जड़ित आकर्षक परिधान कान्हा को धारण कराया गया। श्रृंगार के बाद उनका मोहक स्वरूप देख भक्त भावविभोर हो गए। कुछ लोगों ने व्रत रखकर कान्हा के प्रति अपनी भक्ति का भाव प्रकट किया। कोरोना संक्रमण की भयावह स्थिति के कारण लोग बड़े आयोजन नहीं कर पाए, लेकिन घरों व मंदिरों में कम संख्या में एकत्र हुए। सूर्यास्त के बाद भजन-कीर्तन का दौर शुरू हो गया। समय बीतने के साथ लोगों की खुशी बढ़ती जा रही थी। रात 11 बजे के बाद भक्ति का भाव चरम पर पहुंचने लगा। उत्साह, उत्सुकता और उमंग उफान मारने लगे। नैन कन्हैया के दिव्य स्वरूप खुद में बसाने को व्याकुल थे, वहीं मन-मस्तिष्क भक्ति के सागर में गोता लगा रहा था। मध्यरात्रि 12 बजते ही चहुंओर घंटा-घडिय़ाल की गूंज होने लगे। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की जन्मे कान्हा हमारे घर जैसे भजनों के जरिए कन्हैया का गुणगान करके आरती उतारी गई। भक्तों ने खीरा काटकर भगवान के जन्म की औपचारिकता पूरी की। उन्हें मिष्टान, फल, मेवा, पंचामृत का भोग लगाया। भजन-कीर्तन व प्रसाद वितरण का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। प्रखंड के कटैया माहे मे पूजा समिति के सदस्यों के द्वारा हर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सैनिटाइजर से हाथ धुलवाकर सोशल डिस्टेन्स का ख्याल रखते हुए मंदिर परिसर में जाने के लिए दिया जाता है ।