आसमान से बरसती आग नीचे तपता पानी
सुपौल। कोसी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी घट गया है लेकिन जगह-जगह बाढ़ का पानी जमे र
सुपौल। कोसी के बाढ़ प्रभावित इलाकों में पानी घट गया है लेकिन जगह-जगह बाढ़ का पानी जमे रहने से लोगों को परेशानी हो रही है। सबसे बड़ी परेशानी का कारण तेज धूप है। तीन दिनों से आसमान से आग सी बरस रही है। इसमें जमा पानी तप जाता है जिससे लोगों का जीना दूभर हो रहा है।
जिले के सरायगढ़ और किशनपुर प्रखंड की कई पंचायतें कोसी प्रभावित है। इसी तरह निर्मली अनुमंडल का मरौना प्रखंड कोसी से तो प्रभावित होता ही है साथ ही तिलयुगा नदी भी यहां बाढ़ लाती है। कुछ दिन पहले तिलयुगा के उफान से कई गांव में बाढ़ आ गई थी। फिलहाल तिलयुगा का पानी प्रभावित गांवों से निकल गया है लेकिन सड़कों के किनारे या फिर गड्ढ़ों में पानी भरा हुआ है। यह पानी अब बारिश की समाप्ति के बाद ही खत्म होगा। झिगवा के प्रवीण कुमार प्रभाकर, मंगा सिहौल के विनोद यादव, दानापुर के रंजीत मंडल आदि कहते हैं कि बाढ़ का पानी तो खत्म हो गया लेकिन परेशानी खत्म नहीं हुई है। जगह-जगह गड्ढ़ों में जलभराव हो गया है। बारिश होने के कारण यह घटने का नाम नहीं ले रहा। इससे दुर्गंध उठने लगी है। जलजमाव से मच्छर का प्रकोप भी बढ़ गया है। दूसरी ओर कोसी प्रभावित गांवों की स्थिति उलट है। यहां से पानी तो घट गया है लेकिन टोले-मोहल्ले से पूरी तरह निकला नहीं है। खुखनाहा, अमीनटोल, सिसौनी छीट, पीपरपाती आदि ऐसे गांव है जहां लोगों की यह परेशानी है। कहीं घुटने भर तो कहीं इससे नीचे पानी लगा है। पीड़ित प्रमोद कुमार यादव बताते हैं कि पानी घटता-बढता रहता है लेकिन गांव से निकला नहीं है। इधर कुछ दिनों से तेज धूप निकल रही है मानो आग बरस रही हो। तेज धूप में जमा पानी गर्म हो जाता है तो खासकर दोपहर एक बजे से रात के आठ-नौ बजे तक गर्मी से काफी परेशानी होती है। संजय कुमार बताते हैं कि बारिश होती रहती है तो अच्छा रहता है लेकिन धूप तो जान लेने पर आमादा है। धूप में जब पानी गर्म होता है तो लगता है जैसे भाप की भट्ठी में बैठे हों। बताया कि अभी इस परेशानी को लंबे समय तक झेलना होगा। फिलहाल प्रभावित गांवों में जलजमाव लोगों की मुख्य परेशानी बनी हुई है। इससे गर्मी के अलावा लोगों को मच्छर और सांप-कीड़े का भी सामना करना पड़ रहा है।