बड़ा मुद्दा :: भरे नहीं, हरे हैं कुसहा त्रासदी के जख्म
संसू छातापुर (सुपौल) 2008 में कुसहा तटबंध टूटने के बाद बाढ़ ने छातापुर में भयंकर तबा
संसू, छातापुर (सुपौल) : 2008 में कुसहा तटबंध टूटने के बाद बाढ़ ने छातापुर में भयंकर तबाही मचाई थी। हजारों एकड़ खेत जहां कभी फसलें लहलहाती थीं उसमें बालू भर गया। नदी-नालों का भौगोलिक स्वरूप बदल जाने के कारण खेतों से होकर नदी बहने लगी। बाढ़ के बाद सरकार द्वारा विकास के कई कार्य किए गए लेकिन इस त्रासदी के कई जख्म हैं जो आज भी हरे हैं। इनमें से एक है सुरसर नदी। इस नदी का तटबंध बाढ़ में कई जगह क्षतिग्रस्त हो गया, जिसकी मरम्मत नहीं हो पाई है। यह साल दर साल बढ़ता जा रहा है जो हर साल जमीन काटती है, जिससे लोग बर्बाद हो रहे हैं।
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तटबंध की नहीं हुई मरम्मत
खासकर बारिश के दिनों में जब नदी उफान पर रहती है तो तटबंध के इन क्षतिग्रस्त भागों से पानी का बहाव होने लगता है जो खेतों के अलावा बस्तियों को भी निशाना बनाता है। अबतक तटबंध मरम्मत की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया है। 80 के दशक में इस नदी पर तटबंध का निर्माण कराया गया था। प्रखंड के ठुठी पंचायत से त्रिवेणीगंज प्रखंड के जदिया तक नदी के दोनों ओर बांध बनाया गया था। तटबंध में पाइप भी लगाए गए थे जिससे सिचाई की जाती थी। तटबंध बनने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी जो कुसहा त्रासदी के बाद से संभव नहीं हो पा रहा है।
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लगाई गुहार नहीं हुआ काम
इसके लिए स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई लेकिन इस दिशा में काम नहीं हुआ। लोगों का कहना है कि इससे अच्छा तो जब तटबंध नहीं था तब था। उस समय नदी का पानी दोनों ओर बराबर फैलता था जिससे परेशानी कम होती थी। खास जगहों के लोग प्रभावित नहीं होते थे। अब तो नदी गांवों की ओर खिसकने भी लगी है। क्षतिग्रस्त तटबंध के कारण ठुठी पंचायत से लेकर भीमपुर, जीवछपुर, माधोपुर, रामपुर, झखाड़गढ़, चुन्नी, महम्मदगंज, राजेश्वरी पश्चिम सहित त्रिवेणीगंज प्रखंड के कोरियापट्टी से लेकर तमकुलहा तक की आबादी प्रभावित हो रही है। इस साल भी सुरसर ने लोगों को काफी क्षति पहुंचाई है। हजारों हेक्टेयर में लगी फसल बर्बाद हो गई है और काफी जमीन भी कट गई है।