ईश्वर की प्राप्ति के लिए तोड़ना होगा माया का बंधन

मानव तन दुर्लभ है यह कठिन तपस्या के बाद ही मिलता है लेकिन लोग जानकारी के अभाव में इसे व्यर्थ में गवां बैठते हैं । आज के समय में लोग भौतिक सुख के पीछे भाग रहे हैं। सांसारिक माया से छुटकारा पाए बिना ईश्वर की प्राप्ति कहीं से भी संभव नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 05:42 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 05:45 PM (IST)
ईश्वर की प्राप्ति के लिए तोड़ना होगा माया का बंधन
ईश्वर की प्राप्ति के लिए तोड़ना होगा माया का बंधन

संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल)। मानव तन दुर्लभ है यह कठिन तपस्या के बाद ही मिलता है लेकिन लोग जानकारी के अभाव में इसे व्यर्थ में गवां बैठते हैं । आज के समय में लोग भौतिक सुख के पीछे भाग रहे हैं। सांसारिक माया से छुटकारा पाए बिना ईश्वर की प्राप्ति कहीं से भी संभव नहीं है।

उक्त बातें सिमराही पिपराही रोड स्थित मारवाड़ी धर्मशाला के बगल में ऋषिकेश से पधारे ब्रह्मचारी श्री आनंद जी महाराज ने रविवार को दिव्य सत्संग एवं राम कथा के दौरान कही। उन्होंने सत्संग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ईश्वर के नाम से बडा सूख पूरे संसार में नहीं है। इनके नाम के उच्चारण और श्रवण मात्र से लोगों के पाप नष्ट हो जाते हैं। बड़े पुण्य के बाद भक्तों को सत्संग करने का लाभ प्राप्त होता है।

कहा, धरती पर करोड़ों जीवों के बीच मनुष्य का जीवन अपने आप में बहुत बड़ा है। इस तन के लिए ईश्वर भी लालायित रहते हैं। इसे हमें मोह माया के चक्कर में नहीं गंवाना चाहिए। हे नाथ मैं आपको भूलूं नहीं यही सोच रहे। भगवान के रहते हुए कोई मनुष्य दूसरों से संकट निवारण करने के लिए कहे तो मूर्खता है। मांस, अंडा, सुलफा, भांग आदि सभी अशुद्ध और नशा करने वाले पदार्थों का सेवन करना पाप है। परंतु मदिरा पीना महापाप है। मदिरापान करने वालों को शास्त्रों में महापापी कहा गया है। कारण कि मदिरापान मांसाहार से भी अधिक निदनीय और पतन करने वाला है । मदिरापान करने वाले मनुष्य के भीतर जो धार्मिक भावनाएं रहती है धर्म की रुचि, संस्कार रहते भी उनको मदिरापान नष्ट कर देता है । इससे मनुष्य महान पतन की तरफ चला जाता है । आयोजक घनश्याम लाल माधोगरिया ने बताया कि सत्संग एवं राम कथा चार दिसंबर तक चलेगा । आयोजक परिवार के सदस्यगण कार्यक्रम को सफल बनाने में लगे थे।

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