यही रात अंतिम, यही रात भारी..

-आज सुबह आठ बजे से स्थानीय बीएसएस कालेज में प्रारंभ होगी मतगणना -देर रात तक तय हो जाएगा र

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 12:33 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 12:33 AM (IST)
यही रात अंतिम, यही रात भारी..
यही रात अंतिम, यही रात भारी..

-आज सुबह आठ बजे से स्थानीय बीएसएस कालेज में प्रारंभ होगी मतगणना

-देर रात तक तय हो जाएगा राघोपुर प्रखंड की पंचायतों के पांच साल का भविष्य

जागरण संवाददाता, सुपौल : यही रात अंतिम, यही रात भारी, बस एक रात की कहानी है सारी..। वाकई गुरुवार की रात राघोपुर प्रखंड की 16 पंचायतों के प्रत्याशियों के प्रत्याशा की अंतिम रात थी। शुक्रवार की सुबह आठ बजे से 2056 प्रत्याशियों की किस्मत का बंद पिटारा स्थानीय बीएसएस कालेज में खुलना शुरू होगा और देर रात तक सभी चुनाव परिणाम घोषित हो जाएंगे। इसके साथ ही पंचायतों के अगले पांच साल का भविष्य तय हो जाएगा। वैसे मतगणना की तिथि 22 व 23 अक्टूबर निर्धारित है।

दरअसल प्रखंड की सभी 16 पंचायत में 233 मतदान केंद्रों पर 20 अक्टूबर को वोट डाले गए। प्रत्याशियों ने अपनी जीत के लिए जमकर पसीना बहाया, चुनाव जीतने के सारे तरीके पर काम किया। यहां दो जिला परिषद सदस्य, 16 मुखिया व सरपंच, 21 पंचायत समिति सदस्य, 233 वार्ड सदस्य व 41 पंच के निर्विरोध चुनाव होने के कारण 192 पंच सदस्य पद के लिए वोट डाले गए। 2056 प्रत्याशी मैदान में डटे थे। प्रखंड की सभी पंचायतों में 132253 मतदाता हैं। इसमें 63928 महिला एवं 68325 पुरुष हैं। संपन्न मतदान में महिलाओं ने फिर अपनी सक्रिय भागीदारी दिखाई। यहां 72.96 फीसद मतदान हुआ जिसमें पुरुषों ने 72.75 और महिलाओं ने 73.24 फीसद वोट डाले। अब जब वोटरों ने झमाझम बारिश के बीच वोटों की बारिश की तो नतीजे का भी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसका नतीजा है कि प्रखंड क्षेत्र में गुरुवार का दिन जीत और हार के बहस बीच बीता। प्रत्याशियों के साथ समर्थक भी इस बहस का हिस्सा बने रहे। आम मतदाता भी खुद को इससे वंचित नहीं रख पाते हैं लिहाजा हर घर में चुनाव परिणाम की ही चर्चा होती रही। घर-घर होती यह चर्चा शाम के समय गांव के चौक-चौराहे पर पहुंचती है। यहां से इसकी जीत पक्की तो वहां भितरघात के कारण फलां हार रहे हैं। फलां अगर कुछ दिन और पहले मैदान में आ जाते तो उनकी जीत को कोई काट नहीं सकता था। अपने कार्यकाल में वे इतने ही सक्रिय रहते और लोगों से मिलते-जुलते रहते तो उन्हें कौन हराने वाला था। चुनाव विश्लेषक इसी तरह की चर्चाओं से चुनाव परिणाम की घोषणा कर परिणाम घोषित होने तक चर्चा में बने रहते हैं। इसी तरह की चर्चाओं के बीच रात आ जाती है। वह रात जो कयामत से कम नहीं होती। निसंदेह यह रात खासकर प्रत्याशी और उनके समर्थकों के लिए भारी रही होगी।

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