वेंटिलेटर पर है सदर अस्पताल का वेंटिलेटर
-छह वेंटिलेटर सदर अस्पताल को कराए गए थे उपलब्ध -जताई जा रही तीसरी लहर की आशंका मच
-छह वेंटिलेटर सदर अस्पताल को कराए गए थे उपलब्ध
-जताई जा रही तीसरी लहर की आशंका, मचेगी हाय-तौबा
-------------------------------------------------- फोटो नंबर-22 एसयूपी-2
----------------------------------------------
जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है। दूसरी लहर के कहर बरपाने के बाद अब तीसरी लहर के खतरे का कयास लगाया जा रहा है। इस बीच सदर अस्पताल में पड़े वेंटिलेटर अब तक चालू नहीं हो पाए हैं। फिलहाल जो विभागीय रवैया है उसे देख ऐसा प्रतीत हो रहा है कि तीसरी लहर के आने व उसके खत्म होने तक भी शायद वेंटिलेटर चालू नहीं हो पाएंगे। मालूम हो कि लगभग दस माह पूर्व पीएम केयर्स फंड के माध्यम से सदर अस्पताल को छह वेंटिलेटर उपलब्ध करवाए गए थे। कोरोना की दूसरी लहर जब अपने चरम पर थी तब उक्त वेंटिलेटर को चालू करने की दिशा में जमकर हाय-तौबा मची, बावजूद इसके वेंटिलेटरों का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के लिए नहीं हो पाया। मौजूदा समय में छह के छह वेंटिलेटर यूं ही पड़े हुए हैं।
-------------------------------------------------------------------
कबाड़ न बन जाए वेंटिलेटर
सदर अस्पताल में महीनों से छह के छह वेंटिलेटर धूल फांक रहे हैं। वेंटिलेटर की क्या अहमियत है यह बात कोरोना ने हर किसी को बता दिया है, लेकिन सदर अस्पताल में पड़े वेंटिलेटर की जो स्थिति है उसे देख निकट भविष्य उसके चालू होने की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। कुछ साल तक यूं पड़े-पड़े उसमें जंग लगने लगेगा और बाद में पता चलेगा कि सभी वेंटिलेटर कबाड़ बन गए। मालूम हो कि उक्त छह वेंटिलेटर की सुध वन, पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री ने तब ली जब कोरोना की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ था। इसके बाद विभाग हरकत में आया बावजूद इसके वेंटिलेटर के लिए जिस चिकित्सक का पदस्थापन यहां किया गया उन्होंने अब तक योगदान नहीं किया। --------------------------------------------------------
बाजार की तरफ रुख करते मरीज वेंटिलेटर के चालू नहीं होने की स्थिति में जरूरत पड़ने पर मरीजों को बाजार का रुख करना पड़ रहा है। बाजार में उन्हें वेंटिलेटर के लिए काफी पैसे व्यय करने पड़ते हैं। वैसे अस्पताल में वेंटिलेटर के रहते उसका उपयोग मरीजों के लिए नहीं होना यह कोई सुपौल जिले के लिए पहला मामला नहीं है। इससे पहले सदर अस्पताल में आइसीयू के बनने को ले 2015 में दो वेंटिलेटर आए थे, जो कई वर्ष तक यूं ही अस्पताल के स्टोर में पड़े रहे और अंतत: उसे डीएमसीएच दरभंगा भेज दिया गया। जिले के कई निजी क्लीनिक में इसकी व्यवस्था है परंतु उस आइसीयू में भी वह व्यवस्था नहीं है जो होनी चाहिए। ऊपर से मरीज के स्वजन को आइसीयू के लिए अच्छे-खासे पैसे खर्च करने पड़ते हैं।