अभियान::::::: कोरोना का संभावित घातक वार, सामने आधी-अधूरी सेना तैयार

-डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से जूझ रही है जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था -कई बार किया गया

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 06:23 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 06:23 PM (IST)
अभियान::::::: कोरोना का संभावित घातक वार, सामने आधी-अधूरी सेना तैयार
अभियान::::::: कोरोना का संभावित घातक वार, सामने आधी-अधूरी सेना तैयार

-डाक्टर व स्वास्थ्य कर्मियों की कमी से जूझ रही है जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था

-कई बार किया गया विभागीय पत्राचार लेकिन दूर नहीं हो सकी कर्मियों की कमी

ब्रह्मानंद सिंह, सुपौल : कोरोना की दो लहरों को झेलने के बाद तीसरी लहर की संभावना मुंह बाये खड़ी है। माना जा रहा है कि तीसरी लहर पहले की दोनों लहरों की अपेक्षा अधिक घातक होगी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग इससे लड़ने की तैयारी में जुटा है, लेकिन कोरोना के इस संभावित घातक वार के सामने आधी-अधूरी सेना तैयार है। यहां डाक्टर व कर्मी की घोर कमी है। मालूम हो कि जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था काफी चरमराई हुई है। लोग जिस बेहतर चिकित्सा सेवा की उम्मीद के साथ इलाज के लिए अस्पताल जाते हैं वह नहीं मिल पाती है। इस सबके पीछे सबसे बड़ा व प्रमुख कारण चिकित्सक व कर्मियों की कमी है। चिकित्सक व कर्मी को लेकर विभागीय पदाधिकारियों द्वारा कई बार पत्राचार भी किया गया। बावजूद इसके इस कमी को पूरा नहीं किया जा सका। ऐसे में आधी-अधूरी सेना के बूते कोरोना के इस संभावित घातक वार को जीतने की गारंटी नहीं दी जा सकती।

----------------------------------------------------------

स्वीकृत व कार्यरत के बीच गहरी खाई

अस्पताल में चिकित्सकों और कर्मियों के स्वीकृत पद व कार्यरत बल के बीच इतनी गहरी खाई बन चुकी है कि मरीजों का सही इलाज हो पाना संभव नहीं है। फिलहाल यहां पूरे जिले के अस्पतालों के लिए 347 नियमित व संविदा वाले चिकित्सक के पद सृजित हैं, लेकिन स्थिति देखिए कि इसके विरुद्ध मात्र 139 नियमित व संविदा वाले चिकित्सक ही कार्यरत हैं। इसी तरह नियमित व संविदा पर कार्यरत ए ग्रेड नर्स के 256 सृजित पद हैं और इसके उलट मात्र 91 नियमित ए ग्रेड नर्स कार्यरत हैं। कमोबेस यही स्थिति अन्य पदों की भी है। अस्पताल में एक दिन में करीब चार-पांच सौ मरीज आउटडोर में अपना इलाज कराते हैं लेकिन यहां चिकित्सकों की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि तीन ओपीडी यानि जेनरल, मेडिकल व सर्जिकल ओपीडी में तीन चिकित्सक के बदले अक्सर एक चिकित्सक मरीजों का इलाज करते नजर आएंगे। ऐसे में मरीजों की भीड़ के आगे ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक भी खुद को लाचार महसूस करते हैं। उन्हें मरीजों की नब्ज टटोलने की फुर्सत नहीं मिल पाती। इन सब परेशानियों के बीच मरीज खुद को ठगा महसूस करते हैं।

------------------------------------------------------------ सदर अस्पताल में भी नहीं है पर्याप्त चिकित्सक-कर्मी

जिले में सबसे बड़ा अस्पताल सदर अस्पताल है। कोरोना से लड़ने की रणनीति यहीं बनाई जाती है। शक्ल-सूरत भी किसी नामी-गिरामी अस्पताल से कम नहीं है लेकिन वास्तविकता नाम बड़े दर्शन छोटे वाली है। यहां तक भी पर्याप्त चिकित्सक और कर्मी नहीं हैं। सदर अस्पताल में चिकित्सकों के 40 पद हैं जिनमें से 22 नियमित व दो संविदा पर कार्यरत हैं। वहीं 51 ए ग्रेड नर्स के पद के विरुद्ध 40 नियमित व एक संविदा पर तथा दो एएनएम के पद विरुद्ध एक भी कार्यरत नहीं है। इसके अलावा 39 अन्य पदों के विरुद्ध 21 ही नियमित व संविदा पर कार्यरत हैं। चिकित्सकों की कमी व मरीजों की बढ़ती भीड़ के बीच कार्यरत चिकित्सक को केवल मरीजों की मुंहजुबानी बीमारी सुनकर दवा के लिए सलाह दे देना पड़ता है। इससे चिकित्सक को खुद को संतोष नहीं मिलता है और ना ही वे अपने पेशे के साथ न्याय ही कर पाते हैं। चिकित्सकों की मजबूरी भी है, आखिर सभी मरीजों की समस्या तो सुनना ही है। इस अस्पताल में कई विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के अभाव में मरीजों का सही इलाज नहीं हो पाता है और उन्हें पटना व दिल्ली जाकर अपना इलाज कराना पड़ता है। --------------------------------------------------------------- सुपौल जिले में चिकित्सक व कर्मी की स्थिति पद स्वीकृत पद कार्यरत

चिकित्सक 347-139 ए ग्रेड नर्स 256-91 एएनएम 1071-539 फार्मासिस्ट 28-6 एक्स-रे टेक्निशियन 6-1 परिधापक 42-6 अन्य पद 444-160

chat bot
आपका साथी