पोषण माह में भी नहीं बंट सका केंद्रों पर पोषाहार

संवाद सूत्र राघोपुर(सुपौल) जन्म से छह वर्ष के बच्चे गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं म

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 12:24 AM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 12:24 AM (IST)
पोषण माह में भी नहीं बंट सका केंद्रों पर पोषाहार
पोषण माह में भी नहीं बंट सका केंद्रों पर पोषाहार

संवाद सूत्र, राघोपुर(सुपौल): जन्म से छह वर्ष के बच्चे, गर्भवती महिलाओं एवं किशोरी बालिकाओं में कुपोषण कम करने के उद्देश्य से सरकार ने सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया। विभागीय स्तर से पूरे महीने के चार सप्ताह के लिए अलग-अलग कार्यक्रम निर्धारित किया गया। कुपोषित बच्चों के प्रबंधन के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से पौष्टिक भोजन वितरण करने का निर्देश सेविका को दिया गया। इसके तहत जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। वहीं विभाग की ओर से अभी तक प्रखंड में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र को सितंबर माह का पोषाहार राशि नहीं दिया गया है। जिसे लेकर सेविका-सहायिका जहां लाभुकों के कोपभाजन का शिकार हो रही है वहीं सरकार की महत्वाकांक्षी योजना दम तोड़ने के कगार पर है। मिली जानकारी अनुसार प्रखंड में 284 आंगनबाड़ी केंद्र को स्वीकृति प्रदान है जिसमे 283 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित है। आंगनबाड़ी केंद्र के माध्यम से 8 गभर्वती, 8 धात्री महिलाएं, 12 अतिकुपोषित एवं 28 कुपोषित बच्चे को सूखा राशन ( टीएचआर) के रूप में प्रत्येक माह वितरण करने एवं स्कूल पूर्व शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चे के बीच नास्ते में चूड़ा सक्कर एवं खाने में पौष्टिक लड्डू का वितरण प्रत्येक दिन करने के लिए 18.219 रुपया प्रति माह केंद्र को आबंटित की जाती है। सूत्र बताते हैं कि विगत माह जुलाई एवं अगस्त के बिल विपत्र विभाग को समर्पित है बावजूद जिला से सितंबर माह की राशि नहीं दी गई। पोषाहार बाधित होने का मुख्य कारण विभागीय लापरवाही है। जिसके चलते पोषण माह में भी लाभुकों के बीच पोषाहार का वितरण नहीं हो पाया। इस संदर्भ में प्रभारी सीडीपीओ सुलेखा कुमारी ने बताया कि जुलाई अगस्त में सीडीपीओ का प्रभार प्रखंड विकास पदाधिकारी के पास था। इसलिए सारी जवाबदेही बीडीओ की है। जबकि बीडीओ विनीत कुमार सिन्हा के अनुसार पोषाहार से संबंधित सभी वाउचर ससमय जिला बाल विकास प्रोग्राम पदाधिकारी को सुपुर्द कर दिया गया है। पोषाहार बाधित के लिये जवाबदेह जो भी हों आरोप प्रत्यारोप के इस खेल में लाभुकों का दंश सेविका सहायिका झेलने को मजबूर है।

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