राष्ट्रहित पर कोसी के लोगों ने लगाई अपनी मुहर

मतगणना के दिन गुरूवार को जहां विभिन्न पार्टी कार्यालयों में समर्थकों की भीड़ जुटी हुई थी। वहीं शहर दोपहर तक सूनसान बना हुआ था। अधिकांश दुकाने बंद पड़ी थी। लोग अपने घरों में टेलीविजन से चिपके हुए थे और पूरे देश के चुनाव रूझान को देख व सुन रहे थे

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 07:17 PM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 07:17 PM (IST)
राष्ट्रहित पर कोसी के लोगों ने लगाई अपनी मुहर
राष्ट्रहित पर कोसी के लोगों ने लगाई अपनी मुहर

सुपौल। हमेशा जातीय समीकरणों पर नतीजे गढ़ने वाले कोसी के इलाके में भी इस बार तमाम समीकरण ध्वस्त नजर आए। मोदी फैक्टर पूरी तरह प्रभावी दिखा और महागठबंधन के घटक दलों का भी कोई असर प्रत्याशी के पक्ष में नजर नहीं आया। टिकट के दिनों से ही महागठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में किचकिच शुरु हो गई थी। यहां तक कि राजद के एक सक्रिय कार्यकर्ता ने इनके खिलाफ बिगुल फूंक दिया था और राजद जिला संगठन के विरोधी तेवर भी सामने आए थे। ऐसा भी दिखा कि राजद के कोई कद्दावर नेता सुपौल लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए नहीं आए। हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की चुनावी सभा के दौरान भी राजद नेताओं की अनुपस्थिति खली थी और आम आवाम में चर्चा का विषय बन गया था। वैसे महागठबंधन अपने माई समीकरण पर पूरी तरह से आश्वस्त था। एक नजर में देखते हैं तो विगत लोकसभा चुनाव में जितना मत कांग्रेस प्रत्याशी को आया था लगभग उतने ही मत पर इसबार भी वह सिमट गई। यानी महागठबंधन में जो घटक दल शामिल हुए थे जो विगत चुनाव में राजग के साथ थे उनके मुखिया का कोई प्रभाव मतदाताओं पर नहीं पड़ता दिखा। वहीं दूसरी ओर मोदी की सुनामी और एनडीए की गोलबंदी से जीत का सेहरा राजग के जदयू प्रत्याशी के सिर सजा। एनडीए पूरी ताकत से अपने आपको इस लोकसभा चुनाव में झोंका। इससे इतर पूर्व से ही लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से पांच पर राजग का कब्जा है जबकि एक पर ही राजद के विधायक हैं। अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में सभी विधायकों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। नतीजा रहा कि सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में राजग उम्मीदवार को अच्छी खासी बढ़त मिली। चुनाव बाद भी चुनावी पंडितों के विश्लेषण में हार-जीत में इतने के फासला का अंदाजा भी नहीं लगाया जा रहा था। नतीजा सामने आने पर स्पष्ट हुआ कि गठबंधनों के जो भी समीकरण हों लेकिन कोसी में भी मोदी के सुनामी से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

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