हमारा शहर इंदौर क्यों नहीं::::::: ओडीएफ और जल के मामले में भी है जागरूकता की जरूरत
जागरण संवाददाता सुपौल स्वच्छता रैंकिग में भले ही सुपौल अव्वल स्थान पर हो लेकिन ओडीएफ और
जागरण संवाददाता, सुपौल: स्वच्छता रैंकिग में भले ही सुपौल अव्वल स्थान पर हो लेकिन ओडीएफ और जल के मामले में आज भी मानक से पीछे ही माना जाएगा। इस मामले में आज भी जागरूकता की जरूरत है। भले ही कई गांव को ओडीएफ घोषित किया जा चुका हो लेकिन खुले में शौच से आज भी मुक्ति नहीं मिल पाई है। गांव तो गांव शहर की स्थिति भी बेहतर नहीं कही जा सकती। शहरी इलाके में भी कई मुहल्ले ऐसे हैं जहां खुले में शौच का नमूना आज भी देखा जाता है। सार्वजनिक शौचालय तो शहरी इलाके में हैं लेकिन कई मुहल्ले हैं जहां सार्वजनिक शौचालय की दरकार है। विद्यालयों में शौचालयों की साफ-सफाई की व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो पाई है। कई जगह तो ताले भी नहीं खुलते और कई जगह उपयोग के लायक ही नहीं है। गांवों में शौचालयों का निर्माण तो हुआ है लेकिन अधिकांश गांवों में ये शौचालय व्यवहार में नहीं आ रहे। शहर की हालत है कि नाले की भरमार है लेकिन जल निकासी के मामले में विगत दो-तीन सालों से काफी परेशानी हो रही है। बरसात के मौसम में तो व्यवस्था की पूरी पोल ही खुल जाती है। शहर के बीचोबीच जो नाले हैं उसकी निकासी तो थोड़े सलीके से हो जाया करती है लेकिन कई मुहल्ले से पानी निकलना मुश्किल हो जाता है। पहले शहर का पानी जिस इलाके में निकाल दिया जाता था, अब विकास के दौर में परेशानी शुरू हो गई है। आने वाले समय में जल निस्तारण की बड़ी समस्या से शहर को जूझना पड़ सकता है।
मिथिलेश कुमार कहते हैं कि हमें उतना जागरूक तो होना ही होगा कि हम अपने घर को जिस तरह साफ रखना चाहते हैं अपने शहर को भी रखें। तभी हम इंदौर जैसे शहरों की श्रेणी में गिने जाएंगे। देश के 342 साफ शहरों को राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया है जिसमें सुपौल भी शामिल है। ईस्ट जोन में तो बिहार का पहला स्वच्छ शहर है। इन शहरों को 'स्वच्छ सर्वेक्षण 2021' में स्वच्छ और कचरा मुक्त होने के लिए स्टार रेटिग से सम्मानित किया गया है। देश के, राज्य के, जिले के, कस्बे एवं गावों की स्वच्छता संबंधी स्थिति जानने हेतु प्रतिवर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण किया जाता है। स्वच्छ सर्वेक्षण में ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में स्वच्छता के मापदंड के अनुसार उनकी प्रगति एवं रैंकिग की जाती है। इसके अतिरिक्त इस सर्वेक्षण के बाद जिलों की रैकिग की जाती है और उन्हें पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है तथा क्षेत्रों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत बने शौचालयों का मूल्यांकन भी इस सर्वेक्षण के दौरान किया जाता है। इन्हीं सर्वेक्षणों के माध्यम से किसी देश की प्रगति या वृद्धि का अनुमान लगाया जा सकता है। स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के स्वच्छता सर्वेक्षण में कुछ अन्य नए आयामों को भी शामिल किया गया है जिसमें अपशिष्ट जल के निस्तारण के बाद उसे फिर से स्वच्छ कर प्रयोग करने पर कार्य किया जाएगा। इस प्रयास से एक बड़ा परिवर्तन हुआ है कि लोग अब अपने आसपास के स्थानों को सुरक्षित रखने लगे। इसके अतिरिक्त अब सामान्य जन भी स्वच्छता का महत्व समझने लगे हैं।
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मैं भी स्वच्छता प्रहरी : बच्चों को बताउंगा सफाई के फायदे
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जागरण संवाददाता, सुपौल : आज के बच्चे कल के भविष्य हैं इसलिए मैं बच्चों को सफाई के फायदे से अवगत कराउंगा तथा उन्हें इसके लिए प्रेरित करूंगा। बचपन से अगर उनमें यह भावना रहेगी तो आगे चलकर वे इसे अपने जीवन में उतारेंगे जिससे शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद मिलेगी। हर व्यक्ति को इस तरह का कार्य करना चाहिए।
-संतोष प्रधान