आरसीईपी के विरोध में उतरा स्वदेशी जागरण मंच, जिलाधिकारी को सौंपा ज्ञापन
रविवार की सुबह 12 वीं के सैकड़ों छात्र सड़क पर उतर आए और सुपौल-सरायगढ़ हाइवे 327 ई को डिग्री कालेज के निकट जाम कर दिया और कालेज प्रशासन के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करने लगे। छात्रों का कहना था कि वे इस सत्र में बारहवीं की बोर्ड देने वाले हैं। बोर्ड परीक्षा से पूर्व कॉलेज प्रशासन द्वारा हमलोगों की एक टेस्ट परीक्षा ली जानी है। लेकिन निधार्ररित समय में कॉलेज में न तो कोई उपलब्ध है और न ही कोई इस संदर्भ में कुछ बताने वाला है।
जागरण संवाददाता सुपौल: स्वदेशी जागरण मंच के एक शिष्टमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को समर्पित कर भारत सरकार से क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी पर हस्ताक्षर न करने का आग्रह किया है। जिलाधिकारी को समर्पित ज्ञापन में शिष्टमंडल द्वारा बताया गया है कि भारत सरकार अन्य 15 देशों के साथ आरसीईपी नाम से एक मुक्त व्यापार समझौता करने की ओर अग्रसर हो रही है। जिसमें 80 से 95 प्रतिशत वस्तुओं पर आयात शुल्क शून्य करने का प्रावधान रखा जा रहा है। यह समझौता लागू होता है तो इससे भारत के उद्योगों, कृषि एवं डेयरी पर प्रतिकूल दूरगामी प्रभाव होगा। जिसके कारण इन क्षेत्रों में बिना शुल्क आयात बढ़ने के कारण उत्पादन पर भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और नवीन क्षमताओं की संभावनाएं ही समाप्त हो जाएगी। पिछले काफी समय से चल रहे मेक इन इंडिया के प्रयासों पर पूर्ण विराम लग जाएगा। सस्ते चीनी माल की मार के कारण हमारे अधिकांश उद्योग आयात शुल्क की प्रतिबद्धता समझ के परे है। इससे न केवल हमारे बचे हुए उद्योग तबाह हो जाएंगे बल्कि हमारे कामगारों के रोजगार पर भी भारी चोट होगी और मेक इन इंडिया केवल एक स्वप्न बनकर रह जाएगा। ज्ञापन में आगे बताया गया है कि आज डेयरी क्षेत्र ग्रामीण क्षेत्र के लगभग 10 करोड़ लोगों को लाभकारी रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा रहा है। न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से शून्य पर दूध और दुग्ध उत्पादों के आयातों के कारण हमारे किसानों को मिलने वाले दूध की कीमत में भारी गिरावट होगी। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष तौर पर महिलाओं के रोजगार में भी गिरावट आ जाएगी। किसानों की आमदनी दोगुनी की बजाय आधी ही रह जाएगी और कम से कम 5 करोड़ लोगों का रोजगार छिन जाएगा तथा 150 मिलियन टन दूध के उत्पादन के साथ आत्मनिर्भर यह देश दूध के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हो जाएगा। सस्ते कृषि उत्पादों के आयात के कारण भारतीय किसानों को भारी नुकसान होगा और कृषि क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। ज्ञापन में बताया गया है कि देश के लगभग सभी उद्योग, डेयरी और किसान इस समझौते के कारण होने वाली तबाही से भयभीत हैं। देश के मजदूरों, किसानों, छोटे-मोटे उद्योगों, डेयरी क्षेत्र में संलग्न लोगों सभी की ओर से स्वदेशी जागरण मंच सरकार से मांग करती है कि इस समझौता में आगे बढ़ने पर विराम लगाया जाए और वार्ताकारों को हिदायत दी जाए कि वह प्रतिबद्धता देने से बचें। स्वदेशी जागरण मंच भारत सरकार से आग्रह करती है कि यदि सरकार इस समझौता पर आगे बढ़ती है तो स्वदेशी जागरण मंच को इसके खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करना पड़ेगा। ज्ञापन पर स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संयोजक उत्तर बिहार विजय कुमार सिंह, रजनीश सिंह ,आशीष कुमार, कृष्ण मुरारी, छोटेलाल कामत, कुमार प्रवीण, सिकंदर कामत, रणधीर ठाकुर, नवल किशोर झा, आदि के हस्ताक्षर हैं।