घातक हुई तीसरी लहर तो बच्चों के लिए बेड पड़ जाएंगे कम
जागरण संवाददाता सुपौल कोरोना की दूसरी लहर पहली की अपेक्षा कई गुना ज्यादा खतरनाक रही।
जागरण संवाददाता, सुपौल: कोरोना की दूसरी लहर पहली की अपेक्षा कई गुना ज्यादा खतरनाक रही। स्थिति यह रही कि देश के कई भागों के अस्पतालों में बेड कम पड़ गए। हालांकि, सुपौल जिले के अस्पताल में बेड की मारामारी नहीं रही। अब तीसरी लहर के लिए जो संभावना व्यक्त की जा रही है और उसकी तैयारी को लेकर जो स्थिति है उसे देख कहना गलत नहीं होगा कि दूसरी लहर से पहले लोग गफलत में थे और तीसरी लहर से पहले स्वास्थ्य विभाग गफलत में है। तीसरी लहर को बच्चों के स्वास्थ्य के ²ष्टिकोण से घातक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे में अगर संभावना सच साबित हुई तो यहां बच्चों के लिए बेड कम पड़ जाएंगे।
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बच्चों के लिए है 10 बेड
कोरोना की तीसरी लहर के बारे में कहा जा रहा है कि बड़ों से अधिक यह वायरस बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकता है। लगभग 27 लाख की आबादी वाले इस जिले के बच्चों के लिए मात्र 10 बेड का वार्ड सदर अस्पताल में बनाया गया है। ऐसे में तीसरी लहर के दौरान संभावना कोरोना बच्चों को प्रभावित करता है तो उक्त बेड कितने बच्चा मरीज के काम आएगा कहना मुश्किल है। वैसे, कोरोना संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में आइसीयू भी होनी चाहिए लेकिन दुखद पहलू यह है कि सुपौल जिले के अस्पताल में बच्चों के लिए एक भी वेंटिलेटर नहीं है और न ही इस दिशा में अबतक कोई ठोस कदम उठाया गया है। कोरोना से लड़ने के बाबत स्वास्थ्य विभाग की तैयारी के बीच अगर तीसरी लहर संभावना के अनुरूप आती है तो स्थिति को संभालना मुश्किल होगा।
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220 बेड की है तैयारी
जिले के अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग ने बेड बढ़ाने पर कोई ठोस योजना नहीं बनाई है जिससे कि दूसरी लहर में देश के अन्य भागों में हुई आपाधापी जैसी स्थिति तीसरी लहर में इस जिले में होने के आसार हैं। तीसरी लहर के बाबत सुपौल जिले में 220 बेड तैयार रखे गए हैं। इनमें से 50 बेड सदर अस्पताल में, 50 बेड सदर प्रखंड के सुखपुर स्थित जीएनएम स्कूल में, 50 बेड एएनएम स्कूल निर्मली में तथा 50 बेड सीएचसी बलुआ बाजार में लगे हुए हैं। इसके अलावा 20 बेड बुनियादी केंद्र त्रिवेणीगंज में लगाए गए हैं। सुपौल स्थित पारा मेडिकल इंस्टीट्यूट में एक सौ बेड, निर्मली स्थित अनुमंडलीय अस्पताल के ऊपरी तल्ला में 50 बेड तथा राजकीय औषधालय लालगंज में 20 बेड के लिए चिह्नित किया गया है। बेड के मामले में इतनी ही तैयारी दूसरी लहर में भी थी। यह अलग बात है कि देश के विभिन्न भागों में जिस तरह मरीज मिल रहे थे उस तरह नहीं मिले, लेकिन पिछली दोनों लहर से कमतर या इसके बराबर तीसरी लहर को आंकना कहीं से भी उचित नहीं है।