कोरोना ने निजी विद्यालयों को गिराया औंधे मुंह

संवाद सहयोगी वीरपुर (सुपौल) डेढ़ साल के कोविड काल ने निजी विद्यालयों को औंधे मुंह गिरने

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 07:06 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 07:06 PM (IST)
कोरोना ने निजी विद्यालयों को गिराया औंधे मुंह
कोरोना ने निजी विद्यालयों को गिराया औंधे मुंह

संवाद सहयोगी, वीरपुर (सुपौल): डेढ़ साल के कोविड काल ने निजी विद्यालयों को औंधे मुंह गिरने पर मजबूर कर दिया है। विद्यालयों में ताले लटके हुए हैं। जब महामारी के पहले स्टेज पर लगाम लगी थी तो एक साल से संचालकों ने विद्यालय को कर्ज लेकर खोला लेकिन एक महीना भी स्कूल नहीं खुला कि कोरोना की दूसरी पारी शुरू हो गई और विद्यालयों में फिर ताला लगाने के लिए संचालकों को मजबूर होना पड़ा। अधिकांश निजी विद्यालय किराए के मकान में संचालित हो रहे हैं। विद्यालय बंद रहने के कारण संचालक मकान मालिक को किराया नहीं दे पा रहे हैं। मकान मालिकों ने कई स्कूलों में अपना ताला लगा दिया है। यह कहना है न्यू कैम्ब्रिज रेसिडेंशियल स्कूल वीरपुर के निदेशक मिथिलेश कुमार झा का। वे कहते हैं कि एक साल से अधिक समय से स्कूल के वाहनों के खड़े रहने से टायर खराब हो गए हैं। इंजन में भी खराबी आ चुकी है। संचालकों को अपना पेट भर पाना कठिन हो रहा है तो वे शिक्षक व अन्य कर्मी को क्या सहयोग करेंगे। दिव्य सनातन स्कूल सीतापुर के निदेशक विजय देव कहते हैं कि बच्चों का भविष्य कोरोना ने अंधकारमय कर ही दिया साथ ही स्कूल संचालकों को भी भुखमरी के कगार पर ला दिया है।

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विद्यालय संचालक अपना रहे अन्य व्यवसाय

बताया गया कि कई स्कूल संचालक अन्य व्यवसाय को अपना चुके हैं। एपीएस करजाईन बाजार के निदेशक प्रदीप कुमार फर्नीचर का कारोबार शुरू कर लिया तो रतनपुर के विजय कुमार ने किराना दुकान की राह पकड़ ली। कई स्कूल संचालक गाय पालन, पॉल्ट्री आदि की ओर रूख कर लिए। संचालकों ने कहा कि गरीब छात्रों को मुफ्त पढ़ाने के एवज में मिलने वाली सरकारी सहायता की राशि का सहयोग उनको प्राप्त नहीं हो रहा है। संघ के जिलाध्यक्ष श्यामकिशोर ठाकुर कहते हैं कि निजी विद्यालयों को अगर सरकार गंभीरता पूर्वक नहीं लेती है तो बड़ी संख्या में शिक्षा का अलख जगाने वाले विद्यालय सदा के लिए बंद हो जाएंगे। शिक्षा विभाग को निजी विद्यालयों के बकाए भुगतान की दिशा में ठोस पहल करनी चाहिए।

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