पुत्र की मंगलकामना का पर्व है जिउतिया : आचार्य

-नहाय-खाय आज कल से आरंभ होगा व्रत -इस बार जिउतिया में पूर्ण खरजितिया का योग संवाद सूत्र

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 12:44 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 12:44 AM (IST)
पुत्र की मंगलकामना का पर्व है जिउतिया : आचार्य
पुत्र की मंगलकामना का पर्व है जिउतिया : आचार्य

-नहाय-खाय आज, कल से आरंभ होगा व्रत

-इस बार जिउतिया में पूर्ण खरजितिया का योग

संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): इस बार जिउतिया व्रती महिलाओं के लिए पूर्ण खरजितिया के साथ व्रत रखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। खरजितिया के योग रहने से पुत्रवान औरत के लिए यह खास माना गया है। धर्मशास्त्र के अनुसार कोई भी पुत्रवान औरत भगवान जीमूतवाहन का व्रत खरजितिया लगने के बाद से ही आरंभ करती है। इसे अति शुभ माना गया है। हर पुत्रवान महिलाओं के मन में इस योग का इंतजार रहता है। जिउतिया व्रत स्त्रियां अपनी संतान की मंगलकामना और लंबी आयु के लिए करती हैं। हिदू पंचांग के अनुसार जिउतिया व्रत आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। छठ की तरह ही यह व्रत भी तीन दिनों तक चलता है। इसमें पहले दिन नहाय खाय, दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत का पारण होता है। जिसमें सप्तमी को नहाय खाय एवं पौ फटने तक ओटघन, अष्टमी को व्रत तथा नवमी को स्नानादि पूजन उपरांत व्रत की पूर्णता हेतु पारण एवं ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत पूर्ण किया जाता है। जिउतिया पर्व का महात्म्य बताते हुए आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने बताया कि एक बार सूतजी से समस्त ऋषिगण एवं स्त्रियों ने प्रश्न किया कि ऐसा कौन सा व्रत है, जिसको करने से संतान की लंबी आयु हो तथा वह अकाल मृत्यु का ग्रास नहीं हो। तब सूतजी ने धर्मग्रंथ का हवाला देते हुए बताया कि सतयुग में सत्य आचरण करने वाला जीमूतवाहन नामक राजा था। वह अपनी धर्मपत्नी के साथ ससुराल गया और वहीं पर रहने लगा। एक दिन रात्रि में पुत्र के शोक से व्याकुल होकर कोई स्त्री रो रही थी, क्योंकि उनका कोई भी पुत्र जीवित नहीं था। जीमूतवाहन महाराज द्वारा पूछे जाने पर उस स्त्री ने रोते-बिलखते हुए बताया कि प्रतिदिन गरुड़ आकर गांव के बच्चे को खा जाता है। महिला की पीड़ा सुनने के बाद दुखी राजा ने कहा कि हे देवी तुम चिता मत करो। इसके बाद उस रात में जीमूतवाहन राजा ने बच्चे की जगह खुद को गरूड़ को अर्पित कर दिया। बच्चे के प्रति राजा की ऐसी भावना देख गरुड़जी अति प्रसन्न हुए और राजा से वरदान मांगने को कहा। राजा ने कहा कि हे पक्षी महाराज यदि आप मुझे वर देना चाहते हैं तो यही वरदान दीजिए कि आपने अभी तक जो भी बच्चे का भोजन किए हैं वे सब जीवित हो जाएं तथा अब से यहां बालकों को नहीं खाएं और कोई भी ऐसा उपाय करें कि यहां जो उत्पन्न हो वे सभी लोग लंबे समय तक जीवित रहें। तब राजा की प्रार्थना सुनकर गरूड़जी अमृत लाकर मृत बच्चे को जीवित कर दिए। वह दिवस आश्विन मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। तब भी से सभी स्त्रियां यह जीमूतवाहन का व्रत विधि-विधानपूर्वक करने लगी।

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सोमवार की रात्रि अंत के बाद ओटघन का योग

आचार्य ने बताया कि इस बार व्रती महिलाओं के लिए 27 अगस्त को नहाय-खाय एवं सर्वार्थ सिद्ध योग में स्त्रियों का विशिष्ट भोजन ओटघन सोमवार की रात्रि के अंत के बाद अलसुबह 4:31 से 5:30 तक है। 28 अगस्त यानि मंगलवार को सिद्धि योग में व्रत आरंभ तथा 29 अगस्त बुधवार को संध्याकाल 5 बजकर 4 मिनट के बाद जीमूतवाहन व्रत का पारण है। इस बार खरजितिया होने से जितिया का व्रत लंबा हो गया है।

-------------------------- विशेष परिस्थिति में ग्रहण कर सकते हैं दूध व शरबत

आचार्य ने बताया कि विद्यापति पंचांग एवं भविष्योत्तर पुराण के अनुसार जिउतिया में पारण के दिन पारण से पूर्व और असमर्थ अवस्था में या विशेष परिस्थिति होने पर गाय का दूध एवं शरबत आदि पेय पदार्थ ग्रहण किया जा सकता है।

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