अस्पताल का हाल::::विभागीय उपेक्षा का शिकार हो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा स्वास्थ्य केंद्र

-लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीट

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 05:23 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 05:23 PM (IST)
अस्पताल का हाल::::विभागीय उपेक्षा का शिकार हो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा स्वास्थ्य केंद्र
अस्पताल का हाल::::विभागीय उपेक्षा का शिकार हो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा स्वास्थ्य केंद्र

-लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीटर दूर सुपौल या पिपरा इलाज के लिए भटकना पड़ता है

संवाद सूत्र, कटैया-निर्मली (सुपौल): मात्र कहने को यह सरकारी अस्पताल है, लेकिन कोरोना के कहर के बीच भी इसकी हालत नहीं सुधरी। बात हो रही है अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हटवरिया की। तीन दशक पूर्व तक इस स्वास्थ्य केंद्र की भी हस्ती थी। सुबह से शाम तक मरीजों का आना-जाना लगा रहता था। डॉक्टर से लेकर नर्स तक की व्यवस्था हर समय उपलब्ध रहती थी लेकिन अब खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। विभागीय उपेक्षा से यह बदहाल हो गया है। सरकारी स्तर पर यहां के लोगों की जरूरत समझने का प्रयास कभी भी नहीं किया गया। बड़े-बड़े नेता व अधिकारी आते हैं, अस्पताल की हालत देख सुधार का आश्वासन जरूर जनता को देते हैं परंतु विडंबना कि जनता को अबतक सिवा आश्वासन के झुनझुने का कुछ नहीं मिला। जहां मरीजों का इलाज होना चाहिए वह अस्पताल खुद बीमार है। ऐसे में लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीटर दूर सुपौल या फिर पिपरा इलाज के लिए भटकना पड़ता है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीज चाह कर भी अपना इलाज नहीं करा पाते हैं।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

इस स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त कुव्यस्था पर कामेश्वर सिंह, मनि ठाकुर, मुकेश सिंह, प्रमोद मंडल, सूर्यनारायण मंडल, श्रवण सिंह, रामानंद पासवान, विजय सिंह, मदन मंडल, भागवत मंडल, कमलेश राय, इंद्रभूषण ठाकुर, रंजीत ठाकुर, महेश राय, बलवीर यादव, विजय साह सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि 1934 में इस स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी। उस समय इसे मलेरिया सेंटर के नाम से जाना जाता था। 1956 में तत्कालीन विधायक लहटन चौधरी ने इस स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया। उस समय स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना से लोगों में खुशी थी कि अब इलाज के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। कुछ सालों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चला लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे ही यह स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से सुविधाविहीन हो गया। जबकि यह इलाका पूरी तरह से पिछड़ा और गरीब तबके के लोगों का है। यहां दवा तो उपलब्ध कराई जाती है मगर ग्रामीणों को दवा मिलती ही नहीं, जिसकी वजह से यहां के ग्रामीण झोला छाप डाक्टरों के चंगुल में फंस अपना इलाज भगवान भरोसे करवा रहे हैं। लोगों ने बताया कि इस स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य कर्मी हैं, जो यहां ड्यूटी पर रहते ही नहीं हैं और न ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा किसी तरह का कोई स्वास्थ्य पखवारा का ही आयोजन किया जाता है। जबकि इस स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त कुव्यवस्था की सूचना हमलोगों द्वारा बार-बार विभागीय अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को दी गई है मगर आज तक स्थिति जस की तस है। इस पंचायत के तमाम ग्रामीणों को इलाज व खासकर प्रसव पीड़ित गरीब महिलाओं को घोर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों का टोटा

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एमबीबीएस संवर्ग के डॉक्टर का एक पद सृजित है। वर्तमान में यहां एक एमबीबीएस चिकित्सक नियुक्त भी हैं लेकिन फिलहाल वे कोरोना से पीड़ित मरीज जो होम आइसोलेशन में हैं उनकी जांच के लिए दूसरी जगह है। इसके अलावा एक आयुष चिकित्सक स्वास्थ्य केंद्र में नियुक्त हैं लेकिन वे भी फिलहाल कोविड सेंटर में प्रतिनियुक्त हैं। एक भी महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण महिला रोगियों को काफी परेशानी होती है। दो एएनएम हैं जो टीकाकरण में आती है। दो चतुर्थवर्गीय कर्मचारी के भी दो पद स्वीकृत है। सरकारी स्तर पर यहां के लोगों की जरूरत समझने का प्रयास कभी नहीं किया गया। ऑक्सीजन सिलेंडर, पेयजल, पैथोलॉजी, एक्सरे एवं एंबुलेंस के अभाव के बीच यहां आकस्मिक स्थिति से निबटने की कोई व्यवस्था नहीं होने की खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है। स्वास्थ्य केंद्र मे बिजली तो है लेकिन पेयजल की कोई व्यवस्था है नहीं है और ना ही मरीजों के लिए बेड की व्यवस्था है। दो दो शौचालय बनकर तैयार है लेकिन उसमें ताला लटका रहता है जिससे कि स्वास्थ्य कर्मी, एएनएम सहित मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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एएनएम के आवास पर चलता है निर्मली उप स्वास्थ्य केंद्र

इसी पंचायत के निर्मली में स्वास्थ्य उपकेंद्र है। कब इसकी स्थापना हुई तथा कहां इसका भवन बना हुआ है यह जानकारी भी यहां के लोगों को नहीं है। जिस कारण यहाँ के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि एएनएम रेखा कुमारी के आवासीय परिसर में उप स्वास्थ्य केद्र निर्मली के नाम से बोर्ड लगा हुआ है। फिलहाल उनके घर पर ही यह केंद्र चलता है। ग्रामीणों ने बताया कि आजतक स्वास्थ्य उपकेंद्र से पेट दर्द की दवा भी नसीब नहीं हुई है।

------------------------------------------- क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ. जेपी साह ने बताया कि मरीजों को बेहतर सुविधा देने की हर संभव कोशिश रहती है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक की कमी होने के कारण भी परेशानी होती है। मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने को लेकर अस्पताल प्रशासन गंभीर है। रिक्त पदों पर बहाली एवं महिला चिकित्सक की पदस्थापना के लिए विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। फिलहाल सभी चिकित्सक कोरोना महामारी को रोकने के लिए मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा दे रहे हैं।

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