अस्पताल का हाल:::: उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदहाल, मरीज बेहाल

-विभाग के उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों की शर

By JagranEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 06:03 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 06:03 PM (IST)
अस्पताल का हाल:::: उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदहाल, मरीज बेहाल
अस्पताल का हाल:::: उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति बदहाल, मरीज बेहाल

-विभाग के उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीटर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिपरा या सुपौल इलाज के लिए भटकना पड़ता है।

राहुल कुमार, कटैया-निर्मली (सुपौल): एक समय था जब पिपरा प्रखंड की कटैया माहे पंचायत के कटैया रही गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की भी हस्ती थी। सुबह से शाम तक मरीजों का आना-जाना लगा रहता था। चिकित्सक, नर्स से लेकर दवा तक की सुविधा उपलब्ध थी। निर्मली, केशवनगर, जोल्हनियां, तुलापट्टी, लालपट्टी, गिदराही सहित आसपास के कई गांवों के लोग इलाज कराने आते थे, लेकिन विभाग के उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकित्सकों की शरण में जाना पड़ता है या कई किलोमीटर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पिपरा या सुपौल इलाज के लिए भटकना पड़ता है। वहां भी डॉक्टर नदारद रहते हैं ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज चाह कर भी अपना इलाज नहीं करवा पाते हैं।

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1960 में हुई थी स्थापना

1960 में कटैया रही गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना हुई थी। स्थापना के कई वर्षों तक स्थिति ठीक रही, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से अब लाचार पड़ा है। कोरोना काल में भी इसकी हालत नहीं सुधरी। भले ही स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए लंबी चौड़ी बातें जरूर सुनने को मिली। उप स्वास्थ्य केंद्र अब खुद अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करने के दावे करने वाली सरकार के लिए उप स्वास्थ्य केंद्र हकीकत बयां करने के लिए काफी है। सरकारी स्तर पर यहां के लोगों की जरूरत समझने का प्रयास कभी नहीं किया गया। ऑक्सीजन सिलेंडर, पेयजल, पैथोलॉजी, एक्सरे एवं एंबुलेंस के अभाव के बीच यहां आकस्मिक स्थिति से निबटने की कोई व्यवस्था नहीं होने का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है यहां चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं और न ही अधिकारी व जनप्रतिनिधि इसकी सुधि ले रहे हैं।

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कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण सत्यदेव मंडल, रामचंद्र ठाकुर, सरयुग मंडल, राघवेंद्र राघव, जगदीश मंडल, राजेंद्र मंडल, बिनोद कुमार, गुंजन कुमार, अशोक मंडल, प्रकाश कुमार की मानें तो बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के नाम पर हेल्थ फोर ऑल की घोषणा धरातल पर कहीं नहीं दिख रही है। ग्रामीणों ने बताया कि जनप्रतिनिधियों से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, फिर भी समस्या का समाधान नहीं हो सका। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इस केंद्र को अतिरिक्त उप स्वास्थ्य केंद्र में परिवर्तित कर चिकित्सक नियुक्त करने की मांग की है ताकि ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़े।

----------------------------------------------- डॉक्टर विहीन है रतौली स्वास्थ्य उपकेंद्र

रतौली स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन तो चकाचक है लेकिन यहां भी सिर्फ एक एएनएम के भरोसे मरीजों का इलाज किया जाता है। स्थानीय समाजसेवी पप्पू सिंह ने बताया कि पूर्व मुखिया नागेश्वर सिंह व सरपंच बेचू मियां के प्रयास से 1992 ई. में स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना की गई थी। स्थापना के बाद से ही यहां डॉक्टरों की कमी रही है। यहां अधिकांश आबादी ग्रामीण चिकित्सकों पर निर्भर रहता है। यहां के लोगों को भी पूरी तरह से स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है।

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क्या कहते हैं प्रभारी चिकित्सक

इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. जेपी साह का कहना है कि प्रखंड के किसी भी स्वास्थ्य उपकेंद्र में डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं है। वैसे भी यहां डॉक्टरों की कमी है। इस दिशा में सरकार को चाहिए कि डॉक्टर की बहाली कर प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर की तैनाती करे।

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क्या कहते हैं विधायक

पिपरा विधायक रामबिलास कामत ने बताया कि इस दिशा में हमने पिपरा प्रखंड के सभी स्वास्थ्य केंद्र को प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्थित करने का प्रयास किया है। आने वाले विधानसभा सत्र में इस मामले को उठाया जाएगा तथा व्यक्तिगत तौर पर भी स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर इस मामले को रखेंगे। जल्द ही इस दिशा में पिपरा के लोगों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई जाएगी।

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