उप स्वास्थ्य केंद्र जर्जर रहने से अनमुंडलीय अस्पताल का लगाना पड़ता चक्कर

संवाद सूत्र त्रिवेणीगंज (सुपौल) भले ही राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुि

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 12:20 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 12:20 AM (IST)
उप स्वास्थ्य केंद्र जर्जर रहने से अनमुंडलीय अस्पताल का लगाना पड़ता चक्कर
उप स्वास्थ्य केंद्र जर्जर रहने से अनमुंडलीय अस्पताल का लगाना पड़ता चक्कर

संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): भले ही राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा बहाल करने के लिए उपस्वास्थ्य केंद्र खोले गए हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही है। प्रखंड मुख्यालय स्थित बरहकुरवा पंचायत के वार्ड नंबर चार का उप स्वास्थ्य केंद्र एक दशक से भूत बंगला में तब्दील है। यहां पर जलावन रखे जाते हैं और कमरे में भूसा रखा जाता है। अगर यह चालू हो जाए तो पंचायतवासियों को अनुमंडलीय अस्पताल का चक्कर काटने से निजात मिल सकती है। इस उप स्वास्थ्य केंद्र में दशकों पहले स्वास्थ्य कर्मी नियमित तौर पर आते थे, लेकिन बीते कई वर्षों से कोई नहीं दिखते। इसके कारण लोगों को काफी दिक्कत होती है। वर्तमान में यह उप स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है। भवन की छत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। अंदर के कमरों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। कमरों में लगी खिड़की उखड़ चुकी है।

--------------------------------- आंदोलन कर सकते हैं ग्रामीण

पिछले कई वर्षो से ग्रामीणों उप स्वास्थ्य केंद्र चालू कराने के लिए कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मांग की, लेकिन कोई असर होता नहीं दिख रहा है। स्थानीय लोगों ने उप स्वास्थ्य केंद्र का जीर्णोद्धार कर यहां चिकित्सक की पदस्थापना करने की मांग की है ताकि ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधा के लिए कहीं भटकना नहीं पड़े। ग्रामीणों का कहना है कि अगर हमलोगों की मांग पूरी नहीं होती है तो आंदोलन किया जाएगा।

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कहते हैं ग्रामीण

ग्रामीण देवनारायण यादव, रियाज अंसारी, त्रिलोक कुमार, शंभू कुमार पासवान, अर्जुन राम, सीकेंद्र यादव ने बताया कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कई दशक पूर्व हुआ था। निर्माण के बाद तो कुछ वर्षों तक ठीकठाक चला, लेकिन उसके बाद अभी तक स्वास्थ्य उप केंद्र बदहाल है, जिससे लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इलाज के लिए छह किलोमीटर दूर अनुमंडलीय अस्पताल या मुख्यालय के निजी डाक्टर के पास जाना पड़ता है, जहां गरीबों के लिए पैसे की बड़ी समस्या होती है।

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