बड़े भाग्य से मानव तन की होती है प्राप्ति : शचीकांत

सिमराही पंचायत के गांधीनगर स्थित एक शिक्षण संस्थान के प्रांगण में दो दिवसीय संतमत सत्संग सह ज्ञान यज्ञ का आयोजन शनिवार को किया गया। सत्संग के पहली पाली में स्वामी शचीकांत महाराज ने कहा कि बड़े भाग्य से मनुष्य तन की प्राप्ति होती है। इसके लिए देवगन भी परमात्मा से विनती करते रहते हैं फिर भी उन्हें यह तन प्राप्त नहीं होता। इसलिए लोगों को अपने जीवन में सही अवसर की पहचान करनी चाहिए।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 22 Feb 2020 04:22 PM (IST) Updated:Sat, 22 Feb 2020 04:22 PM (IST)
बड़े भाग्य से मानव तन की होती है प्राप्ति : शचीकांत
बड़े भाग्य से मानव तन की होती है प्राप्ति : शचीकांत

संवाद सूत्र, राघोपुर (सुपौल): सिमराही पंचायत के गांधीनगर स्थित एक शिक्षण संस्थान के प्रांगण में दो दिवसीय संतमत सत्संग सह ज्ञान यज्ञ का आयोजन शनिवार को किया गया। सत्संग के पहली पाली में स्वामी शचीकांत महाराज ने कहा कि बड़े भाग्य से मनुष्य तन की प्राप्ति होती है। इसके लिए देवगन भी परमात्मा से विनती करते रहते हैं, फिर भी उन्हें यह तन प्राप्त नहीं होता। इसलिए लोगों को अपने जीवन में सही अवसर की पहचान करनी चाहिए। अवतारी पुरुष केवल असुरों का संहार ही नहीं करते बल्कि अपनी आसुरी प्रवृत्तियों पर भी विजय प्राप्त करते हैं। आलस्य एक ऐसी आसुरी प्रवृत्ति है जिससे पार पाना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। रावण जब मृत्यु के समीप था राम ने लक्ष्मण को उनके पास उपदेश के लिए भेजा। रावण ने कहा कि सब समय का फेर है गलत कार्य में पड़ने के पहले मैंने कुछ नहीं सोचा। सही कार्य के लिए मैंने सोचा कि समय ही समय है और अब पछतावे के साथ मरने के सिवाय मेरे पास और कोई विकल्प नहीं है। लोगों को समय की पहचान कर अपने जीवन में बदलाव लाना चाहिए। आयोजन को सफल बनाने में महादेव मेहता, राजा रवि, अल्पना मेहता, रामलखन मेहता, किसलय रवि आदि का सराहनीय योगदान रहा।

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